स्वामी निश्चलानंद का दावा- संशय न करें, ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग ही मिला
वाराणसी। गोवर्धन पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने दावा किया है कि सनातन धर्म के लोग संशय न करें, ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग ही मिला है। परिसर में आदि विश्वेश्वर हैं, पूरी काशी ही शिवलिंग है।
स्वामी निश्चलानंद ने बुधवार को अस्सी स्थित दक्षिणामूर्ति मठ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुस्लिम समुदाय से अपील की कि उनको अपने पूर्वजों की गलतियों को मानकर सहिष्णुता का परिचय देना चाहिए। ज्ञानवापी का जो पूर्व स्वरूप था उसे एक बार फिर उसी स्वरूप में लाना होगा।
ताजमहल से जुड़े सवाल पर स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि उसे तेजोमहल घोषित किया जाए। मक्का में मक्केश्वर महादेव मंदिर चाहिए। हम सब अब स्वतंत्र भारत में रहते हैं और हमारा अधिकार है कि हम अपने पूर्व के मानवाधिकार को स्थापित करें। मंदिरों को संरक्षित करने के लिए काशी में शंकराचार्यों, प्रमुख पीठों के महंत एवं धर्माचार्यों का सम्मेलन भी बुलाने की बात कही।
उन्होंने कहा कि मोहम्मद साहब और ईसा मसीह के पूर्वज कौन थे। यह बात सिद्ध है कि सबके पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिन्दू थे। अतः अपने पूर्वजों के मार्ग पर चलने का प्रयास करें। हिन्दुओं को काफिर कहने का अर्थ अपने पूर्वजों को ही काफिर कहना होता है। भगवान शिव ने ही जगत बनाया। उस समय खुदा, ईसा मसीह और गॉड का भी कोई नाम नहीं था।