
लखनऊ। राजधानी के सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और एएनएम सेंटर में पर्याप्त दवाएं नहीं हैं। एशिनशियल ड्रग लिस्ट (ईडीएल) के अनुसार भी दवाएं अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं। अधिकारी ईडीएल के हिसाब से दवाएं मुहैया कराने में नाकाम हैं। दवाओं की कमी से मरीज परेशान हैं। उन्हें बाजार से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। मंडलायुक्त ने 4 जून को लखनऊ मंडल के सीएमओ की बैठक ली थी।
इसमें अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता पर कमिश्नर ने चिंता जाहिर की। लखनऊ में सीएमओ के अधीन शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में उपलब्ध ईडीएल दवाएं तक नहीं हैं। सूत्रों का कहना है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में 195 प्रकार की दवाएं होनी चाहिए, लेकिन 96 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध हैं। मानक से 50 प्रतिशत प्रकार की दवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 241 तरह की दवाएं होनी चाहिए, लेकिन 184 प्रकार की ही हैं। एएनएम सेंटर भी बदहाल है। यहां 84 प्रकार की दवाएं होनी चाहिए किंतु 56 दवाएं ही उपलबध हैं। दवाओं के मामले में राजधानी लखनऊ से रायबरेली जिला बेहतर है। अधिकारियों का कहना है कि डॉक्टरों की उपलब्धता के अनुसार ही अस्पतालों में दवाएं मुहैया कराई जाती हैं। इमरजेंसी, ओपीडी व भर्ती मरीजों के लिए दवाएं निर्धारित की गई हैं।
सख्ती के बावजूद ठाकुरगंज संयुक्त अस्पताल के चिकित्सक नहीं कर रहे सुधार, वीडियो वायरल
ठाकुरगंज संयुक्त चिकित्सालय के चिकित्सकों ने बाहर की दवाएं लिखने का नया पैतरा निकाला है। अब फॉलोअप के लिए आने वाले मरीजों को पुराने पर्चे पर ही बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। बुधवार को भी एक मरीज का वीडियो वायरल हुआ है। अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच करने की बात कही है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सभी सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को बाहर की दवाएं न लिखने के निर्देश जारी किया है। इसके बावजूद चिकित्सक मनमानी पर उतारू हैं।
ठाकुरगंज संयुक्त चिकित्सालय की ओपीडी में रोजाना करीब 1500 मरीज आते हैं। 31 मई को टीबी एंड चेस्ट क्लीनिक के चिकित्सक पर कई मरीजों ने बाहर की दवाएं लिखने का आरोप लगाते हुए अस्पताल प्रशासन से शिकायत की थी। इस मामले में एडी मंडल डॉ. जीपी गुप्ता के निर्देश पर दो सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई है। जांच अभी प्रचलित है। बुधवार को भी टीबी एंड चेस्ट क्लीनिक के एक चिकित्सक ने फॉलोअप के लिए आए मरीज वरुण के पुराने पर्चे पर बाहर की दवाएं लिख दीं।
इतना ही नहीं आरोप है कि चिकित्सक ने एक चिन्हित मेडिकल स्टोर से ही दवाएं लेने की बात कही। मरीज के मुताबिक मेडिकल स्टोर पर दवाएं करीब 800 रुपये कीमत की बताई गईं। पास में पैसे न होने से वह दवा नहीं खरीद सका। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। अस्पताल के सीएमएस डॉ.एसपी सिंह ने मामले की जांच कराने की बात कही है।