
गोरखपुर। अल्लाह की राह में कुर्बानी देने का त्योहार ईद-उल-अजहा (बकरीद) गुरुवार को परम्परा के अनुसार मनाया जाएगा। कुर्बानी का सिलसिला 29 व 30 जून और 1 जुलाई तक चलेगा। कुर्बानी को लेकर मुसलमानों में खूब उत्साह है। सोशल मीडिया पर मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया है। मौसम खुशगवार बना रहा। मस्जिदों में तकबीरे तशरीक पढ़ी जाने लगी है। शहर की ईदगाहों व मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज़ गुरुवार को अदा की जाएगी। जिसे देखते हुए ईदगाह व मस्जिद कमेटियों ने खास तैयारी की है। भीड़ को देखते हुए साफ-सफाई, चटाई व दरी का इंतजाम किया गया है।
ईद-उल-अजहा की नमाज सबसे पहले सुप्पन खां मस्जिद खूनीपुर में सुबह 5:30 बजे अदा की जाएगी। वहीं सबसे अंत में सुन्नी जामा मस्जिद सौदागर मोहल्ला बसंतपुर में सुबह 10:30 बजे ईद-उल-अजहा की नमाज होगी। इसके अलावा शहर की सभी ईदगाहों व मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की जाएगी। ईद-उल-अजहा त्योहार को लेकर बुधवार को बाजारों में काफी रौनक रही। ईद-उल-अजहा की तैयारियों में जुटे लोगों ने बाजार से जमकर खरीदारी की। लोगों ने घरों की साज सज्जा के साथ ही त्योहार के मौके पर घर आने वाले मेहमानों को लजीज पकवानों और सेवई खिलाने के लिए तमाम चीजों की खरीदारी की। रातभर बकरा व भैंस मंडी में खरीदारों की भीड़ जुटी रही। महंगाई का असर कुर्बानी के जानवरों पर नज़र आया। दस हजार से लेकर चालीस हजार रुपये तक के जानवर बाजार में बिके। बाजार में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग ज्यादा जानवर लेकर आए।
कुर्बानी के जानवरों के महंगे होने की वजह से मध्यम वर्गीय परिवारों को थोड़ी दिक्कत पेश आईं। सलमा, सलमान, शाहरूख, टाइगर, सुल्तान नाम के बकरे कद, काठी, रंग, नस्ल, वजन व कीमत की वजह से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे। गोरखनाथ मछली दफ्तर, रसूलपुर, इलाहीबाग, खुनीपुर, जामा मस्जिद उर्दू बाजार, शाह मारूफ, रेती चौक देसी व अन्य नस्ल के बकरों से गुलजार रहा। भैंस व पड़वा बाजार में भी खूब रौनक दिखी। बड़े जानवर में पेशगी के तौर पर एक हिस्से का दो हजार रुपये से लेकर 3500 रुपये तक लिया जा रहा है। तुर्कमानपुर, रसूलपुर, गोरखनाथ, अस्करगंज, गाजी रौजा, शाह मारूफ, रहमतनगर, जामा मस्जिद उर्दू बाजार, खूनीपुर, इलाहीबाग, बक्शीपुर आदि जगहों पर तो रात भर कुर्बानी के जानवरों का मेला लगा रहा। जमकर मोलभाव व खरीदारी का सिलसिला चला। जहां सामूहिक कुर्बानियां होती हैं वहां अपशिष्ट पदार्थ को दफ़न करने के लिए गड्ढे वगैरा भी खोदे गए।
शहर के उर्दू बाजार, शाह मारूफ, रेती, नखास, खोवा मंडी, इलाहीबाग, जाफरा बाजार, रसूलपुर व गोरखनाथ इलाके में सेवई, खोवा व मेवों की खूब बिक्री हुई। जामा मस्जिद उर्दू बाजार में सेवई की दुकान लगाने वाले मोहम्मद कैस व आरिफ ने बताया कि रमजान, ईद व ईद-उल-अजहा के मौके पर सेवई की मांग ज्यादा रहती है। बनारसी सेवई हाथों-हाथ खरीदी जा रही है। ईद-उल-अजहा में मुसलमान कुर्बानी तो करवाते ही हैं साथ ही नये कपड़े पहनकर ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करते हैं। बुधवार को गीता प्रेस, घंटाघर, शाह मारूफ, रेती, गोलघर आदि क्षेत्रों में काफी लोग पहुंचे। जहां बड़े कुर्ता पायजामा खरीदते नजर आए वहीं बच्चे जींस, टी शर्ट लेते दिखे। रेडीमेड आइटमों की डिमांड रही। महिलाएं सलवार सूट लेती दिखी। दर्जियों के यहां कपड़ा लेने वाले भी पहुंचे। शाह मारूफ पर खरीदारी करने आईं हेरा व गौसिया ने बताया कि कपड़े वगैरा तो पहले ही खरीदा जा चुका है। दर्जी के यहां से कपड़ा लेना बाकी है। घर को सजाने के लिए पर्दा, फ्लावर व बर्तन वगैरा की खरीदारी की है।