
उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता। राज्य के ऊर्जा मंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि UPPCL (उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड) का निजीकरण होकर रहेगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो भी कर्मचारी इस निर्णय के खिलाफ हड़ताल करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सरकार बिजली उपभोक्ताओं को बेहतर और समय पर सेवा देने के लिए प्रतिबद्ध है, और इसके लिए निजीकरण जरूरी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ यूनियनें राजनीतिक एजेंडे के तहत आम जनता को परेशान करने की कोशिश कर रही हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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बिजलीकर्मियों की यूनियनें इस फैसले का कड़ा विरोध कर रही हैं और समय-समय पर हड़ताल और प्रदर्शन कर रही हैं। लेकिन अब सरकार का रुख बेहद सख्त नजर आ रहा है। कर्मचारियों को चेतावनी दी गई है कि वे हड़ताल में शामिल हुए तो सस्पेंशन, सेवा समाप्ति और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
इस बीच उपभोक्ताओं के बीच भी दो तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं—कुछ लोग निजीकरण को सेवा सुधार का जरिया मान रहे हैं, वहीं कुछ लोगों को आशंका है कि इससे बिजली दरों में इजाफा हो सकता है। आने वाले समय में यह मुद्दा राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बना रह सकता है।