
बस्ती। रंजिश मे हुयी मारपीट के एक मामले में घायल एक पक्ष का मुकदमा पुलिस ने घटना के दिन ही दर्ज कर लिया। जब कि दूसरे पक्ष के चोटहिल का मामला लगभग एक सप्ताह बीतने को है फिर भी दर्ज नही किया। जो पुलिस के पक्षपात पूर्ण रवैये और संदिग्ध कारनामें की पोल खोल रहा है। मामला मुण्डेरवा थाने का है।
जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से पुलिस अधीक्षक को दिये गये शिकायती पत्र में 03 मार्च 2023 को थाना क्षेत्र के ग्राम-लहरी निवासी पीड़ित कन्हैया लाल पुत्र वकील गुप्ता ने लिखा है कि 26 फरवरी 2023 की सायं करीब 6 बजे गांव के शौरभ सिंह पुत्र सिकन्दर सिंह शराब पीकर मेरे घर आये और रंजिशन मुझे गाली देने लगे तभी मेरा लड़का शनि कुमार उन्हें गाली देने से मना करने लगा तो शनि को भी उन्होने मारना पीटना शुरू कर दिया।
यह मामला देख कर मेरी पत्नी बीच-बचाव करने आयी तो उसे भी शौरभ सिंह ने मारा-पीटा। इसी बीच शोर सुनकर शौरभ सिंह के परिवार के तमाम लोग मौके पर पहुंच कर मेरे पत्नी समेत लड़के शनि कों मारने-पीटने के साथ शौरभ ने शनि के हाथ व पैर में दांत से बेरहमी से काट कर जख्मी कर दिया। जब-तक गांव के लोग घटना स्थल पर पहुंचे तब-तक मुल्जिमान गाली गुप्ता व जान माल की धमकी देते हुये चले गये।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगया है कि दूसरे दिन मुण्डरेवा थाने पर मामले की लिखित तहरीर दिया लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज करने के बजाय हीला-हवाली कर रही है। जब कि गुनहगार शौरभ सिंह का राजनैतिक पहुंच होने के कारण घटना के दिन ही मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस की इस दोहरी मानसिकता से आजिज व मजबूर होकर प्रार्थी ने मुकदमा दर्ज करवाने के लिए जनसुनवाई पोर्टल पर गुहार तो किया फिर भी मामले में पुलिस का रवैया पूर्बवत कायम है।
इस मामले में पूछंने पर थाने के प्रभारी निरीक्षक अरविन्द कुमार शाही ने कहा कि मैने घटना के दिन रात मे ही कन्हैया लाल को थाने पर बुलाया था लेकिन वह नहीं आया। जिसके कारण उसका मुकदमा दर्ज नही किया गया। अब सवाल उठता है कि मार-पीट में जब दोनो पक्ष के घायल होता है। तो एक पक्ष का मुकदमा दर्ज करना और दूसरे पक्ष का न दर्ज करना क्या पुलिस का पक्षपात पूर्ण रवैया नहीं है।