उत्तर प्रदेशकानपुर

खुद सीख कर अब दूसरों को सिखा रहे फाइलेरिया मरीज

  • स्वास्थ्य विभाग व फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्य दिन प्रतिदिन बढ़ा रहे जागरूकता
  • प्रबुद्ध लोगों सहित बच्चों, राशन डीलर और ग्रामीणों तक पहुंचा रहे जरूरी संदेश

 

कानपुर। बीते पांच वर्षों से मेरा दायां पैर फाइलेरिया ग्रस्त है। मुझे कोई उम्मीद नहीं थी कि कभी इससे राहत मिलेगी। बहुत इलाज कराया लेकिन कोई आराम नहीं मिला। कुछ महीने पहले फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप (पीएसजी) के संपर्क में आई और सरकारी स्वास्थ्य सुविधा से जुड़कर प्रभावित अंगों की सही तरीके से साफ-सफाई और व्यायाम के बारे में जाना। इसे अपनाने से जीवन कुछ सरल हो गया। यह कहना है ब्लॉक कल्याणपुर के इसुरीगंज गांव के अन्नादेश्वर पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की सदस्य ममता का।

36 वर्षीय ममता लोगों को फाइलेरिया से बचाव के प्रति जागरूक करते हुए कहती हैं कि एक अफसोस हमेशा रहेगा कि यदि फाईलेरिया की दवा खायी होती तो आज इस मुसीबत में न पड़ती।

कल्याणपुर ब्लॉक के सचेंडी, कटरा भैसौर, बिसार , गंगागंज, कुरसौली और इसुरीगंज गांवों में पीएसजी हैं। स्वास्थ्य विभाग और ग्रुप के सदस्य गांव के शिक्षकों, प्रबुद्ध लोगों, बच्चों, राशन डीलर, मरीजों और ग्रामीणों तक इस बीमारी के बारे में जरूरी संदेश पहुंचा रहे हैं। पीएसजी के सदस्यों की बैठकों के बाद लोग बीमारी की गंभीरता को समझने लगे हैं और जागरूकता का वातावरण तैयार होने लगा है।

सचेंडी गांव की 62 वर्षीय फाइलेरिया मरीज कृष्णा देवी बताती हैं कि उन्हें 35 साल से बाएं पैर में हाथीपांव की समस्या है। कई निजी डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। पीएसजी से जुड़ने के बाद पता चला कि सरकारी अस्पतालों में दवा पाना उनका अधिकार है। इसके बाद अब कल्याणपुर सीएचसी से दवाएं लेना शुरू किया है। इसी गांव के 62 वर्षीय महेंद्र सिंह बीते 25 सालों से फाइलेरिया से पीड़ित हैं। उनका दाहिना पैर फाइलेरिया ग्रसित हाथी पांव हो गया है।

वह भिसार पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सदस्य हैं। वह बताते हैं जब से मुझे यह जानकारी हुई है कि फाइलेरिया बीमारी मच्छर के काटने से हाेती है, तब से पूरा परिवार मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी में सोता है। कालीदेवी पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सदस्य 55 वर्षीया बीते 20 सालों से फाइलेरिया से पीड़ित हैं। उनका दाहिना पैर हाथी पांव से प्रभावित है। उन्होंने रुग्णता प्रबन्धन व दिव्यांगता निवारण (एमएमडीपी) की ट्रेनिंग भी ले रखी है। वह बताते हैं कि हाथीपांव की देखभाल, साफ-सफाई और पैर धोने व पोछने की जानकारी उन्हें ग्रुप से जुड़ने के बाद ही मिली है। इससे काफी लाभ भी हुआ है।

फाइलेरिया को लेकर बढ़ी समझ

जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह का कहना है कि गांवों में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप बन जाने से मरीजों और ग्रामीणों में फाइलेरिया को लेकर समझ बढ़ी है। सर्वजन दवा सेवन अभियान (आईडीए/एमडीए) के दौरान इसका लाभ भी मिलेगा। पीएसजी के माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि फाइलेरिया (हाथीपांव) की बीमारी लाइलाज है और इसे उचित देखभाल, दवा व व्यायाम से केवल नियंत्रित किया जा सकता है।

दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं एवं गम्भीर रोग से ग्रसित रोगियों को उक्त दवा नहीं खानी है। साथ ही हाइड्रोसील बीमारी की पहचान कर सर्जरी भी कराई जा रही है। कल्याणपुर सीएचसी के अधीक्षक डॉ. अविनाश यादव का कहना है कि इस अभियान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था का सहयोग मिल रहा है।

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