Family ID बनाने में लखनऊ समेत पांच जिले फिसड्डी साबित, प्रदेश भर में 43,679 आवेदन पेंडिंग

लखनऊ: राशन कार्ड से वंचित परिवारों की ”एक परिवार-एक पहचान” योजना के तहत ”फैमिली आईडी” बनाने की रफ्तार धीमी है। इस अभियान में कहीं जागरूकता का अभाव है तो कहीं गलत तरह से योजनाओं का लाभ पा रहे लोगों को वंचित होने का डर है। शायद इसी वजह से तमाम वंचित परिवार आवेदन नहीं कर रहे हैं। मई में फैमिली आईडी बनाने में लखनऊ, गोरखपुर, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ व देवरिया सबसे निचले स्थान पर रहे हैं।
दरअसल, फैमिली आईडी परिवार की एक विशिष्ट पहचान है। जिन परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, उन्हें आईडी बनवाना अनिवार्य है। इससे परिवारों को उनकी पहचान मिलेगी। आधार प्रमाणित इस व्यवस्था में लाभार्थी किन योजनाओं से वंचित हैं और किसका लाभ उठा रहे यह भी ट्रेस होगा।
इससे डुप्लीकेसी नहीं होगी और अपात्र योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाएंगे। जरूरतमंद परिवार आवास, पेंशन, सम्मान निधि आदि से वंचित हैं तो इन विभिन्न योजनाओं में आसानी से लाभान्वित होंगे। प्रदेश में 16 जून तक फैमिली आईडी बनवाने के कुल 26,78,652 प्राप्त आवेदनों में 23,09,440 स्वीकृत किए गए। इनमें 43,679 आवेदन लंबित हैं, शेष निरस्त कर दिए गए हैं।
अपात्र होने पर हो रहे बाहर, नहीं कर रहे आवेदन
जिलों पर मुख्य रूप से मनरेगा, किसान सम्मान निधि व पेंशन के लाभार्थियों की फैमिली आईडी बनाई जा रही है। ऑनलाइन आवेदन के दौरान गलत तरह से योजनाओं का लाभ उठा रहे अपात्र ट्रेस होकर ऑटोमेटिक निरस्त हो रहे हैं। इस डर से तमाम लोग आवेदन नहीं कर रहे। वहीं, आवेदनों के सत्यापन में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। क्षेत्र में बिना जाए एक-दूसरे से पूछकर परिवारों की जानकारी करके आवेदन स्वीकृत व निरस्त करने की बात भी सामने आई है। इन्हीं कारणों से प्रगति नहीं बढ़ रही है।
सीएम डैशबोर्ड में मई की प्रगति
लखनऊ | 16.58 फीसदी |
देविरया | 16.52 फीसदी |
मेरठ | 11.02 फीसदी |
गौतमबुद्ध नगर | 9.30 फीसदी |
गोरखपुर | 9.03 फीसदी |