
लखनऊ। फर्जी वेबसाइट बनाकर जाली आधार कार्ड व पैन कार्ड बनाने वाले शातिर अंतर्राज्यीय गिरोह का साइबर पुलिस ने भण्डाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। जिनकी पहचान बिहार के पूर्वी चम्पारण निवासी अफजल आलम, गया निवासी मो. इरशाद व अमेठी निवासी सुशील कुमार के रूप में हुई है। आरोपियों के पास से पुलिस ने 103 फर्जी आधार कार्ड, तीन फर्जी पैन कार्ड, 120 से अधिक एंड्रॉयड व कीपैड वाले मोबाइल फोन आदि सामान बरामद किया है। वहीं इस गिरोह के 9 सदस्यों को पुलिस पूर्व में ही गिरफ्तार कर चुकी है।
डिजिटल पोर्टल नाम से बना रखीं थीं कई फर्जी वेबसाइट्स
मामले की जानकारी देते हुए साइबर एसपी, यूपी प्रो. त्रिवेणी सिंह ने बताया कि वाराणसी में दर्ज हुए इस मुकदमे में पुलिस ने बिहार से गिरोह के चंदन यादव व विजय यादव को गत 7 मई को गिरफ्तार किया था। ये दोनों आरोपी फर्जी आधार कार्ड व पैन कार्ड से देश के विभिन्न राज्यों में फर्जी बैंक खाते खोलने व फर्जी मोबाइल सिम एक्टिवेट कराने का काम करते थे। इसी गिरोह द्वारा विभिन्न साइबर अपराधियों को भी बैंक डिटेल व मोबाइल सिम उपलब्ध कराये जा रहे थे।
जांच में पता चला कि इनके बैंक खाता खोलने व सिम खरीदने के लिए डिजिटल पोर्टल डॉट इन नामक वेबसाइट से फर्जी आधार कार्ड व पैन कार्ड बनाये जाते हैं। जांच करने पर वेबसाइट के लिए काम करने वाले पंकज यादव की 24 जून को बिहार से गिरफ्तारी हुई। पंकज से पूछताछ में पता चला कि फर्जी आधार व पैन कार्ड बनाने वाली कई वेबसाइट संचालित हैं। पंकज की निशानदेही पर अफजल, इरशाद और सुशील को गिरफ्तार किया।
डोमेन परचेज कर बनाईं 9 वेबसाइट, एपीआई बनाकर बेचा जाता था डाटा
एसपी त्रिवेणी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों से पता चला कि उन्होंने डोमेन प्रोवाइडर से डोमेन खरीदकर इस प्रकार की नौ वेबसाइट बनाई थीं। जिनमें एपीआई बनाकर डाटा फिशिंग (डाटा चुराना और बेचना) की जाती थी। इन वेबसाइट में कोई भी व्यक्ति लॉग इन करके ऑनलाइन फिंगरप्रिंट देकर व मैनुअल डाटा भरकर अपना आधार, पैन या किसी तरह का आईडेंटिटी प्रूफ बना सकता था। पर आधार या पैन को प्रिंट करने के लिए शुल्क अदा करना पड़ता था। इसी दौरान वेबसाइट से ऑनलाइन फिंगर प्रिंट करते ही स्वत: ही आवेदक का सारा डाटा डोमेन में सेव हो जाता था, जिससे फर्जी आधार व पैन कार्ड आदि बनाये जाते थे।
सिर्फ एक वेबसाइट से प्रति वर्ष छापते थे 4-4 लाख आधार व पैन
एसपी त्रिवेणी ने बताया कि पेमेंट गेटवे सर्विस प्रोवाइडर से मिली जानकारी के अनुसार इन वेबसाइट्स पर प्रत्येक आधार कार्ड को प्रिंट करने के लिए 20 रुपये व पैन कार्ड के लिए 19 रुपये शुल्क लिया जाता था। सिर्फ एक वेबसाइट्स से प्रतिदिन एक-एक हजार फर्जी आधार कार्ड व फर्जी पैन कार्ड छापे जाते थे। यानी सालाना करीब 4 लाख आधार व 4 लाख पैन कार्ड की प्रिंटिंग होती थी। जिससे एक ही वेबसाइट से गिरोह को सालाना 75-80 लाख रुपये की कमाई हो जाती थी। यानी 9 वेबसाइट्स से सालाना साढ़े छह से सात करोड़ रुपये की आमदनी होती थी।
कई सॉफ्टवेयर डेवलपिंग कंपनी में बतौर प्रोग्रामर काम कर चुका इरशाद
एसपी त्रिवेणी ने बताया कि पकड़ा गया अभियुक्त मो. इरशाद पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और वह कई सॉफ्टवेयर डेवलपिंग कंपनियों में बतौर प्रोग्रामर नौकरी कर चुका है। इरशाद ही इन सभी 9 वेबसाइट्स की देखरेख करता था और वेबसाइट में कोई भी समस्या होने पर उसका निराकरण करता था। इरशाद के सिक्योरिटी सिस्टम के कारण ही पिछले काफी समय से संचालित होने के बावजूद इन वेबसाइट्स को ट्रैक नहीं किया जा पा रहा था।