गंगा दशहरा : सन्तों ने अस्सीघाट पर मां गंगा का किया विशेष पूजन अर्चन
- बोलें- गंगा दशहरा पर गंगा स्नान व पूजन से दस तरह के पापों से मिलता है छुटकारा
वाराणसी। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि गंगा दशहरा पर गुरूवार को काशी के संतों ने अस्सीघाट पर मां गंगा का षोडशोपचार विधि से विशेष पूजन किया। इसमें समस्त सम्प्रदायों के सन्तों-महात्माओं के साथ गंगा महासभा एवं अखिल भारतीय सन्त समिति के महामन्त्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती भी शामिल रहे।
इस दौरान स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि धर्म शास्त्रों के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगाजल के सेवन या गंगा स्नान करने से अनजाने में हुए पाप और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है एवं दस प्रकार के पाप नष्ट होते हैं। उन्होंने बताया कि दैहिक पाप जैसे बिना दी हुई वस्तु को लेना, निषिद्ध हिंसा, पर स्त्री संगम, यह तीन प्रकार का दैहिक पाप माना गया है। वाणी से पाप- कठोर वचन मुँह से निकालना, झूठ बोलना, चुगली करना एवं वाणी द्वारा किसी के मन को दुखाना,-ये वाणी से होने वाले चार प्रकार के पाप हैं।
मानसिक पाप- दूसरे के धन को लेने का विचार करना, मन से किसी का बुरा सोचना और असत्य वस्तुओं में आग्रह रखना-ये तीन प्रकार के मानसिक पाप कहे गए हैं। ये सभी दैहिक, वाणी द्वारा एवं मानसिक पाप, गंगा दशहरा के दिन पतितपावनी गंगा में स्नान से धुल जाते हैं। यह गंगा दशहरा का महत्व है। इस दौरान पातालपुरी के महन्त बालक दास, दण्डी संन्यासी प्रबन्धन समिति के अध्यक्ष स्वामी विमलदेव आश्रम, कर्णघण्टा के महन्त ईश्वर दास, महन्त अवधेश दास सहित दर्जनों दण्डी संन्यासी एवं बैरागी सन्त आदि उपस्थित रहे।