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विश्वनाथ मंदिर में बिना टिकट के VIP दर्शन करवाना सब इंस्पेक्टर को पड़ा भारी, अब सैलरी से कटेगा पैसा

वाराणसी: श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में 1 जनवरी से वीआईपी प्रोटोकॉल को लेकर बदले हुए नियम के बाद भी चौक थाना क्षेत्र के एक सब इंस्पेक्टर को वीआईपी प्रोटोकॉल का पालन न करते हुए पांच लोगों को दर्शन करवाना भारी पड़ गया. विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर सब इंस्पेक्टर पर कार्रवाई करते हुए वेतन से 1500 रुपये काटकर मंदिर में जमा करवाने के लिए कहा है.

दरअसल, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की तरफ से नए साल पर गिने चुने वीआईपी और माननीय के साथ ही अधिकारियों के लिए प्रोटोकॉल के तहत दर्शन की व्यवस्था का एक पूरा चार्ट जारी किया था. यह स्पष्ट किया गया था कि इसके अतिरिक्त कोई सुगम (वीआईपी) दर्शन करना चाहता है तो 300 रुपये का टिकट लेना पड़ेगा. इन सब बातों की जानकारी होने के बाद भी चौक में तैनात सब इंस्पेक्टर आशीष सिंह ने पांच लोगों को वीआईपी प्रोटोकॉल के तहत बिना टिकट लिए ही दर्शन करवा दिया. इसके बाद सब इंस्पेक्टर की सैलरी से 5 लोगों के टिकट का पैसा 1500 रुपये काटने का निर्देश दिया गया है.

दरअसल, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में सभागार के अंदर 28 दिसंबर को कार्यपालक समिति की बैठक में कमिश्नर कौशल राज शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में नई व्यवस्था वीआईपी दर्शन को लेकर लागू की गई थी, जो 1 तारीख से नियमावली के तहत लागू हो चुकी है. इसके साथ ही 86 वीआईपी की सूची जारी की गई थी. इस सूची में भारत के राष्ट्रपति, पूर्व राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री सेवा के स्टाफ प्रमुख सहित 86 लोगों के वीआईपीज का नाम शामिल है. आदेश जारी किया गया था कि इन सभी को छोड़कर शेष कोई भी वीआईपी दर्शन का लाभ लेना चाहता है तो उसे 300 रुपये शुल्क देना अनिवार्य कर दिया गया था.

मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. सुनील वर्मा ने बताया कि जारी की गई सूची के व्यक्ति ही प्रोटोकॉल श्रेणी में आएंगे, उनके साथ आने वाले व्यक्तियों परिवार के लोगों को मंदिर की निर्धारित व्यवस्था के अनुसार ही सुविधाएं दी जाएगी. यह नियम 1 जनवरी से लागू है. न्यास की तरफ से इस पर सहमति भी दी गई है. इस सूची के अलावा न्यास के अध्यक्ष, कार्यपालक समिति के अध्यक्ष, सचिव की सहमति से अन्य कोई पात्र व्यक्ति भी निशुल्क सुविधा का लाभ ले सकता है. एसडीएम और का रैंक के अधिकारियों को इस लिस्ट से बाहर कर दिया गया है.

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