उत्तर प्रदेशवाराणसी

ज्ञानवापी प्रकरण: व्यास जी के तहख़ाने की डीएम को सुपुर्दगी को लेकर आज होगी सुनवाई, कोर्ट में ये की गई है मांग

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी तहखाना को लेकर कोर्ट में चल रही सुनवाई के तहत आज सुनवाई (Gyanvapi case hearing in Varanasi court) होगी. इस मामले में 1991 के मुख्य वाद लॉर्ड विश्वेश्वर प्रकरण से जुड़े अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी की तरफ से इस मामले में वादी बनने को लेकर दाखिल की गई एप्लीकेशन पर दोनों पक्षों की बहस सुनी गई थी. बहस सुनने के बाद कोर्ट ने 24 नवंबर यानि आज सुनवाई की तिथि निर्धारित की है. विजय शंकर रस्तोगी ने पिछले सुनवाई में अपनी तरफ से इस मामले में आपत्ति दाखिल की थी.

दरअसल, दिवंगत पंडित सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र कुमार पाठक ने पिछले दिनों एक वाद दायर किया था. इसमें उनके अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी और सुभाष नंदन चतुर्वेदी की तरफ से यह दलील दी गई थी कि पंडित सोमनाथ व्यास के तहखाना पर मस्जिद पक्ष कब्जा कर सकता है. क्योंकि, 1993 तक तहखाने में पूजा पाठ होता रहा.

बाद में नंदी के सामने बैरिकेडिंग करके पूजा पाठ रोकने के साथ ही परिवार के लोगों को भी अंदर जाने से रोका गया. नंदी के सामने बैरिकेडिंग को हटाने और तहखाने को पूर्व की तरह व्यास परिवार के लिए खोले जाने की मांग करने के साथ ही जब तक यह मुकदमा चल रहा है, तब तक इसका मालिकाना हक जिला अधिकारी वाराणसी को सुपुर्द किए जाने की मांग इस एप्लीकेशन में की गई है.

हालांकि, इसका विरोध अंजुमन इंतजामियां लगातार कर रहा है. इसकी देख-रेख करने वाले अंजुमन इंतजामिया का कहना है कि हम किसी पर कब्जा करने की नीयत से वहां पर कार्य नहीं कर रहे हैं. क्योंकि, आदेश के मुताबिक, परिसर हमारा ही है जिस पर विवाद के तहत मामला न्यायालय में है. जो भी निर्णय होगा, वह देखा जाएगा. लेकिन, तब तक इस स्थल को जिलाधिकारी के सुपुर्द किया जाना उचित नहीं है.

फिलहाल, दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जिला जज इस मामले में जल्द फैसला सुनाने वाले थे. लेकिन, इसके पहले ही 1991 में लॉर्ड विश्वेश्वर मामले में वार्ड मित्र विजय शंकर रस्तोगी की तरफ से एक एप्लीकेशन देते हुए इस पूरे प्रकरण में उन्हें भी वादी बनाए जाने की अपील की गई है. जिस पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है. विजय शंकर रस्तोगी का कहना है कि वह पुराने मुकदमे में वाद मित्र है और तहखाना जिस परिवार का है उनके परिवार के तरफ से मुकदमा भी लड़ रहे हैं. इसलिए बिना उनको सुने या उनको इस मामले में पार्टी बनाएं कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकता है.

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