मंकी पॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी
- अभी तक देश के किसी भी राज्य में नहीं मिला मंकीपॉक्स का एक भी मरीज
- मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी: सीएमओ
वाराणसी। विश्व के कुछ देशों में फैले संक्रामक रोग मंकी पॉक्स को देखते हुये भारत सरकार ने भी इस बीमारी से बचाव के लिए उत्तर प्रदेश सहित सभी राज्यों में दिशा निर्देश एवं एडवाइजरी जारी की है। इसके साथ ही सैंपल के संग्रहण एवं परिवहन के लिए भी दिशा निर्देश जारी किए हैं।
शनिवार को जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि फिलहाल भारत में अभी तक मंकी पॉक्स बीमारी का कोई पुष्ट रोगी सूचित नहीं हुआ है। लेकिन इस बीमारी के वैश्विक महामारी क्षमता एवं गंभीरता को देखते हुये पूर्व तैयारी, सजगता, सर्विलांस आदि बेहद आवश्यक है। उन्होंने बताया कि शासन के निर्देश पर जनपद के सभी सरकारी एवं निजी अस्पतालों, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर एडवाइजरी जारी कर दी गई है।
सीएमओ डॉ चौधरी ने कहा कि मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है, जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन क्षेत्रों में होती है। कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में भी रोग का प्रसार ज्ञात हुआ है। मंकीपॉक्स के मरीजों में अधिकांशतः बुखार, चकत्ते और सूजी हुई लिम्फनोड्स जैसे लक्षण पाए जाते हैं जिनके कारण अनेक प्रकार की चिकित्सीय जटिलताएं भी हो सकती हैं।
मंकी पॉक्स एक स्व-सीमित बीमारी है जिसके लक्षण सामान्यतः दो से चार सप्ताह तक प्रदर्शित होते हैं लेकिन कुछ रोगी गंभीर रूप से भी बीमार हो सकते हैं। मकीपॉक्स जानवरों से मानवों में अथवा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। यह वायरस कटी-फटी त्वचा (भले ही दिखाई न दे), श्वसन नली या म्यूकोसा (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। जानवरों से मानवों में संचरण जानवरों के काटने या खरोंचने, जंगली जानवरों के मांस, शारीरिक द्रव्यों या घाव के पदार्थ के साथ सीधे सम्पर्क, या घाव-पदार्थ के साथ अप्रत्यक्ष सम्पर्क जैसे दूषित बिस्तर के माध्यम से हो सकता है।
माना जाता है कि मानव से मानव में संचरण मुख्य रूप से बड़े आकार के रेस्पायरेटरी ड्रॉपलेट के माध्यम से होता है जिसके लिए दीर्घावधि का निकट सम्पर्क आवश्यक है। यह रोग शारीरिक द्रव्यों या घाव के साथ के साथ सीधे सम्पर्क से अथवा घाव के साव के साथ अप्रत्यक्ष सम्पर्क जैसे संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों या लिनेन के माध्यम से भी संचरित हो सकता है।