
सन्तकबीरनगर। पुरा बाजार रसूलाबाद के ऐमीआलापूर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में अयोध्या धाम के सुप्रसिद्ध कथा प्रवक्ता आचार्य धरणीधर जी महाराज ने कहा इसके श्रवण मात्र से ही व्यक्ति के पाप दूर हो जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। वहीं अन्य ग्रन्थ मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाते हैं और श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य को मरना सिखाती है,जीवन में जीने के बाद कैसी मृत्यु हो,श्री शुकदेव भगवान ने महाराज परीक्षित को भागवत का उपदेश देकर उन्हें तक्षक सर्प के काटने से पहले ही भागवत ज्ञान के द्वारा मुक्त कर दिए थे।
उन्होंने नवयुग सवारने की कथा,श्रीमद भागवत का सार सहित अन्य कथाओं के बारे में विस्तार से श्रद्धालुओं को बताया आचार्य धरणीधर जी महाराज ने कहा कथा सुनकर हमारे हृदय में चल रही उद्देगनाओं, क्रोध, मोह, ईर्ष्या से विश्राम से मिलकर परम शांत स्वरूप, भगवान का हृदय में स्थापित हो जाना ही कथा विश्राम कहलाता है। शुकदेव ने अंतिम उपदेश भी यही दिया। शुकदेव जी ने कहा कि जब मैं तुम, मैं हूं तो तक्षक तुम्हारा क्या बिगडेगा। शहर के साथ आसपास सहित ग्रामीणों ने भी कथा का रसपान किया। इस अवसर पर मुख्य यजमान जगदंबा प्रसाद दुबे, सियाराम दुबे ,अनूप दुबे, आचार्य सचिदानंद मिश्र,शिव पूजन तिवारी, देवनारायण पाण्डेय, अवधेश कुमार पाण्डेय,संजय कुमार दुबे ,अजय कुमार दुबे,आशीष पाण्डेय,सुधाकर दुबे सतीश चन्द्र तिवारी,चिंतामणि तिवारी समेत तमाम लोग मौजूद रहे।