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निजीकरण से पहले बिजली कंपनियों के टैरिफ प्रस्ताव पर हंगामा, नई दर में अभी इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी नहीं जुड़ी तो होगा उपभोक्ताओं को नुकसान

लखनऊ: निजीकरण से पहले बिजली कंपनियों के टैरिफ प्रस्ताव को लेकर हंगामा खड़ा हो गया है। दरअसल, बिजली की नई दरें तय करने के लिए पावर कॉरपोरेशन के प्रस्तावित टैरिफ में अभी इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी नहीं जुड़ी है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का तर्क है कि अगर इसमें इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी जोड़ दी जाएगी तो शहरी इलाकों में घरेलू उपभोक्ताओं को 13 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा। फिलहाल बिल पर 5 प्रतिशत इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी लगाई जाती है।

इस बीच पावर कॉरपोरेशन की तरफ से नियामक आयोग में दाखिल प्रस्तावित दरों पर भले ही अब तक नियामक आयोग ने सुनवाई के लिए मंजूरी न दी हो, लेकिन पावर कॉरपोरेशन ने उसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मंगलवार को आयोग में इसके खिलाफ लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल करते हुए आपत्ति दर्ज करायी है।

अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि उपभोक्ताओं के लिए बिजली की नई दरें महत्वपूर्ण हैं, जिन पर वह आपत्ति दाखिल करेगा। बिजली कंपनियां जनता के सामने नई दरें प्रकाशित नहीं करना चाहती हैं, इसीलिए केवल वेबसाइट पर अपलोड कर रही हैं। उपभोक्ता परिषद ने नई दरें प्रकाशित किए जाने की मांग की है ताकि जनता को पता चल सके कि उसके नए टैरिफ से उसकी जेब पर कितना बोझ पावर कॉरपोरेशन डालना चाहता है।
अवधेश वर्मा ने मंगलवार को आयोग के सामने प्रस्तावित दरों के कारण से बेतहाशा बढोत्तरी का पूरा आंकड़ा रखा। उन्होंने कहा कि यह प्रस्तावित दरें टैरिफ शॉक की श्रेणी में आती हैं। उन्होंने अपनी याचिका के साथ शहरी घरेलू उपभोक्ताओं का एक किलोवॉट से पांच किलोवॉट तक के कनेक्शन पर बिल भुगतान का ब्योरा रखते हुए कहा कि अगर इसमें इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी भी जोड़ ली जाएगी तो दरें 13 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंचेंगी। उन्होंने एक बार फिर बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के बकाये 33,122 करोड़ रुपये का विवरण देते हुए प्रस्तावित दरें खारिज करने की मांग उठाई है।

फिक्स चार्ज, एनर्जी चार्ज में बढ़ोतरी पर मांगा जवाब

विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन से कहा है कि घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के 101 से 150 हुआ 151 से 300 यूनिट तक के ग्रामीण व शहरी कैटेगरी को मर्ज किया गया है। इस प्रकार कमर्शियल में भी कार्रवाई की गई है। बिजली कंपनियों ने जो फिक्स चार्ज में एनर्जी चार्ज में बढ़ोतरी किया है उसका भी जवाब दाखिल करना होगा और साथ ही सभी बिजली कंपनियों को कैटिगरी वाइज रेवेन्यू का भी पूरा खाता देना पड़ेगा।

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