अमेठी में है भारत का पहला शिव मंदिर जहां पर पूरे सावन माह में नहीं होता है जलाभिषेक।
14 जुलाई से सावन के पावन महीने की शुरुआत हो गई है। सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है। इस माह में विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना की जाती है। सावन माह के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। भगवान शंकर का दिन सोमवार होता है। आज यानी 18 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। सभी शिवालयों में सुबह से ही लोगों के द्वारा पहुंच कर भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक किया जा रहा है । वहीं पर अमेठी जिले के परमहंस आश्रम बाबूगंज सगरा में एक ऐसा शिवालय है जहां पर पूरे सावन माह में जलाभिषेक नहीं किया जाता है। लगभग सवा सौ साल पुराने भगवान भोलेनाथ के इस शिवलिंग पर जलाभिषेक नहीं होता है। यह शिव पुराण की विधि के अनुसार राष्ट्र रक्षा के लिए धर्म रक्षा के लिए और लोगों के कल्याण के लिए देश की अर्थव्यवस्था के लिए और देश की सेनाओं को मजबूत करने के लिए तथा देश की सुरक्षा के लिए यह विशेष अनुष्ठान किया जाता है । शिव पुराण में ऐसा विधान है कि 1 महीने तक भगवान महाकाल को चावल, चंदन, इत्र, अष्टगंध और सुगंधित तेल मिलाकर भगवान भूतनाथ को मंत्रोच्चारण के साथ चढ़ाया जाता है। ऐसा करने से जीवन में गरीबी नहीं रह सकती है तमाम बाधाएं समाप्त होती है। इस शिवालय में यह अनुष्ठान राष्ट्र रक्षा के लिए सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत् के लिए किया जा रहा है। शाम को भगवान महाकाल हिमालय पर्वत से निकलेंगे उस समय 35000 बेलपत्र सवा लाख दुर्वांकुर शमी पत्र तथा पुष्पों से श्रृंगार करके कई हजार दीप जलाए जाएंगे 151 थालो से बाबा की पूजा की जाएगी। शाम को गौरी महा आरती कर बाबा को निंद्रा से जगाया जाएगा । यह संकल्प विगत 33 वर्षो से चला आ रहा है। ऐसे में बाबा से प्रार्थना है कि आप देश और राष्ट्र की रक्षा करें क्योंकि हम सबका विश्वास है कि जब देश और राष्ट्र रहेगा तभी हम सब पूजा पाठ कर सकते हैं यज्ञ और अनुष्ठान कर सकते हैं तभी धर्म की रक्षा कर सकते हैं । जब भी राष्ट्र ही नहीं रहेगा तो धर्म कैसे होगा क्योंकि राष्ट्र प्रधान धर्म है । यह पूजा पूरे सावन मास चलेगी जिस में पढ़ने वाले प्रत्येक सोमवार को विशेष पूजा होती रहती है। इस पूरी पूजा में बाबा भोलेनाथ को एक ग्यारह लाख से अधिक रुद्राक्ष लगाए जाएंगे जो काशी विश्वनाथ से आता है। अब तक लगभग सवा 5 लाख रुद्राक्ष से महाकाल के कटि भाग तक श्रृंगार कर दिया गया है शिखर का शेष भाग पूर्णाहुति तक पूरा कर लिया जाएगा कहते हैं कि रुद्राक्ष साक्षात शिव और भगवती का स्वरूप है जिससे महाकाल अत्यंत प्रसन्न होते हैं इससे राष्ट्र श्री में वृद्धि होती है, शत्रु का विनाश होता है, आतंकवाद का विनाश होता है आतंकवादी सोच का विनाश होता है देश में नौजवान और यशस्वी लोगों की उत्पत्ति होती है।