कहीं भाजपा उप्र में राज्य मंत्री विजय लक्ष्मी गौतम को दलित चेहरे के रुप में सामने तो नहीं ला रही

जयराम अनुरागी
बलिया। उत्तर प्रदेश सरकार में तो बहुत सारे मंत्री है, लेकिन ग्राम्य विकास राज्य मंत्री श्रीमती लक्ष्मी गौतम के कार्यशैली, जनता से मिलने के तरीके एवं आम लोगों के आमंत्रणों में शामिल होने का कोई जबाब नहीं है। हालांकि ये देवरिया जनपद के सलेमपुर विधानसभा से चुनाव जीती है, लेकिन पूरे प्रदेश में जिस तरह से सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यक्रमों के दौरान लौगों से मिल- जुल रहीं है उसको लेकर इस समय खासे चर्चा में है।
अभी हाल ही में बलिया जनपद के दो कार्यक्रमों में शामिल होकर लोगों का जिस तरह से दिल जीतने का काम किया है, उसको लेकर भी बहुत ही चर्चा में है। एक तो सरिया गुलाबपुर में राम आशीष राम की बेटी की शादी में शामिल होकर वर – वधू को आशीर्वाद देना एवं दुसरा नगर पंचायत सिकन्दरपुर के चेयरमैन के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में जनपद की बासडीह की विधायिका श्रीमती केतकी सिंह द्वारा इनकी कार्यशैली को लेकर प्रशंसा करना इनको चर्चा – ए- खास बना दिया है। इसको लेकर राजनैतिक गलियारों में तरह – तरह की चर्चाएं भी होने लगी है।
राजनैतिक विष्लेषकों की बातों को थोड़े देर के लिए सही माना जाये तो ग्राम्य विकास राज्य मंत्री श्रीमती विजय लक्ष्मी गौतम को को उत्तर प्रदेश सरकार एवं भाजपा संगठन इनको दलितों में मायावती के प्रभाव को कम कराने में प्रयोग करने हेत्तु उभार रही है। क्योकि मावावती और विजय लक्ष्मी गौतम दलितों की एक ही समुदाय से आती है। जहां बसपा सुप्रीमो़ं मायावती आम दलितों से नहीं मिलती है, वहीं दुसरी तरफ समाज शास्त्र में परास्नातक विजय लक्ष्मी गौतम बहुत ही सुलभ तरीके से आम लोगों से भी मिलती है।
यही नहीं मीड डे मील में बच्चों के साथ भोजन भी कर लेती है तथा गरीब दलित की बेटी की शादी में जाकर आशीर्वाद भी देती है। जबकि मायावती सतीश चन्द्र मिश्रा एवं उमाशंकर सिंह जैसे नेताओं की पुत्रियों की शादी में ही आशीर्वाद देने पहुंचती है। इसीलिए इनकी बढ़ती हुई लोकप्रियता को भुनाने के लिए भाजपा इनको बांसगांव लोकसभा से भी आजमा सकती है।
इसमें कितनी सच्चाई है, ये तो समय आने पर पता चलेगा, लेकिन जिस तरह से इनके बापू भवन वाले सरकारी कार्यालय एवं गोमती नगर वाले आवास पर पूरे प्रदेश के दलितों की भीड़ देखी जाती है और उनकी समस्याओं के निस्तारण को लेकर तुरन्त एक्शन लेती है, इसको लेकर भी राजनैतिक गलियारों में चर्चाओं को जो बाजार गर्म है, उसके भी कई राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे है। वैसे भी भाजपा दलितों में अपनी पैंठ बढ़ाने में बहुत दिनों से लगी हुई है। हो सकता है भाजपा भविष्य में इनके कद को बढ़ा कर इनको बड़ा दलित चेहरे के रुप में उत्तर प्रदेश की राजनीति में सामने लायें। क्योकि भाजपा दलित मतों के लिए कुछ भी कर सकती है।