महंत योगी आदित्यनाथ से सीएम योगी का सफर, हर चुनौती को बनाया सफलता का रास्ता
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को एक नया इतिहास रचेंगे. क्योंकि राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार एक बार फिर सत्ता में आ रही है और ये राज्य में पिछले 37 साल के बाद हो रहा है. योगी आदित्यनाथ आज अपने कैबिनेट के सहयोगियों के साथ शपथ लेंगे और आज के शपथ ग्रहण समारोह में पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ ही जाने उद्योगपति और साधु-संत भी मौजूद रहेंगे. आज योगी आदित्यनाथ के शपथ लेने से पहले वह राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में बुलडोजर बाबा के तौर पर पहचाने जाने लगे हैं.
उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी ने जीत हासिल की तो एक महंत से राजनेता बने योगी आदित्यनाथ के नाम ने मुख्यमंत्री के तौर पर सबको चौंका दिया था. जबकि वह गोरखपुर से लोकसभा सांसद थे और पूरे चुनाव में एक मुख्यमंत्री के तौर पर उनका नाम दूर-दूर तक नहीं सुनाई पड़ा था. लेकिन वह राज्य के मुख्यमंत्री बने.
कहा जाता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संतों ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए बीजेपी नेतृत्व से बात की थी. वहीं पिछले पांच साल में योगी आदित्यनाथ के सामने कई तरह की चुनौतियां आयी, लेकिन वह हर चुनौती को परास्त करने में सफल रहे और पार्टी की नीतियों को जनता के लिए लागू करने में सफल रहे.
राज्य में पिछले पांच सालों में कानून व्यवस्था को लेकर योगी आदित्यनाथ को सराहा गया. राज्य में ऐसा पहली बार देखने को मिला जब अपराधी हाथ में तख्ती लेकर थाने पहुंचा था और वह पुलिस से जेल में डालने की गुहार लगा रहा था. राज्य में बड़े-बड़े माफिया जेल में डाल दिए गए, जो कभी सरकारों को परोक्ष तौर पर चलाते थे. योगी आदित्यनाथ की अपराधियों को लेकर बनी सख्त छवि ने उन्हें कुशल प्रशासक के तौर पर स्थापित किया और राज्य की जनता ने चुनाव में उन पर विश्वास जताया और भारतीय जनता पार्टी को 255 सीटों पर जीत दिलाई.
अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ तक का सफर
संन्यास लेने से पहले योगी आदित्यनाथ का नाम अजय सिंह बिष्ट था और उनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी जिले के एक गांव में हुआ था. लेकिन राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में शामिल होने के लिए घर छोड़ दिया और उसके बाद वह गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से मिलने पहुंचे और उनके शिष्य बन गए. इसके बाद अजय सिंह बिष्ट योगी आदित्यनाथ के तौर पर पहचाने जाने लगे.
योगी आदित्यनाथ ने 1998 में गोरखपुर से सबसे कम उम्र के सांसद बनकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की. इस सीट पर उनके गुरु अवैद्यनाथ सांसद हुआ करते थे. पांच बार सांसद रहने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किया और उन्ही की अगुवाई में राज्य में 2022 का विधानसभा चुनाव भी लड़ा गया.
जनकल्याणकारी योजनाओं को किया लागू
राज्य में मुख्यमंत्री बनने के साथ ही जहां योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों को जेल में डाला. वहीं सबका साथ और सबका विकास के एजेंडे पर चलते हुए राज्य में कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की. राज्य में कोरोना के दौरान हालात खराब थे और विभिन्न शहरों से राज्य में वापस आ रहे थे. इसी दौरान योगी आदित्यनाथ ने फैसला किया कि राज्य सरकार लोगों को बस मुहैया कराएगी और उन्होंने लोगों को घरों तक पहुंचाया.
पूरे देश में राज्य में सबसे ज्यादा जनसंख्या है और स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत कम. लेकिन उसके बावजूद राज्य में कोरोना में नियंत्रण करने में राज्य सरकार को सफलता मिली. जिसकी डब्लूएचओ समेत विश्व के कई देशों ने तारीफ की. योगी आदित्यनाथ सरकार ने जापानी इंसेफेलाइटिस से निपटने के साथ ही राज्य में सड़क नेटवर्क और बिजली की स्थिति में सुधार किया. वहीं राज्य सरकर जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ एक विधेयक लायी. जिसका विरोध दलों ने काफी विरोध किया.
राज्य में एसपी-बीएसपी गठबंधन को मिली करारी हार
लोकसभा चुनाव-2019 में राज्य में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की संयुक्त गठबंधन बना और ये बीजेपी के लिए एक चुनौती बनकर उभरी. लेकिन राज्य में बीजेपी 62 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही. वहीं दो सीटें उसके सहयोगी दल अपना दल को भी मिली.
यानी बीजेपी गठबंधन ने राज्य में 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जिसके बाद राज्य में योगी आदित्यनाथ और ज्यादा मजबूत होकर उभर. योगी आदित्यनाथ हमेशा दावा करते हैं कि राज्य में पीएम नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली ‘डबल इंजन’ सरकार से विकास हो रहा है और उनका कहना है कि आगे भी विकास की गति में तेजी आएगी.