
गोरखपुर: । 41वें दीक्षांत समारोह के अन्तर्गत विश्वविद्यालय स्थित संवाद भवन में सांस्कृतिक एवं काव्य संध्या “संगीत के रंग, काव्य के संग” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो राजेश सिंह रहे। कार्यक्रम की शुरुआत संस्कृत विभाग के डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति से हुई। इस अवसर पर संगीत एवं ललित कला विभाग के विद्यार्थियों द्वारा गणेश वंदना की प्रस्तुति की गई। आकांक्षा सिंह के द्वारा प्रस्तुत सितार वादन ने सभी का मन मोह लिया। इसके बाद श्री शंकर गंगानी के द्वारा मनमोहक तबला वादन प्रस्तुत किया गया।
संगीत एवं ललित कला के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत कजरी – कृष्णा बने मनिहारी की प्रस्तुति पर सभी झूम उठे। रामधुन हमारे निर्धन के धन राम की प्रस्तुति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में संगीत विभाग के ही छात्रों द्वारा लोकगीत बारहमाशा – बाटोहिया की मनमोहक प्रस्तुति पर जमकर तालियां बजी। प्रोफेसर उषा सिंह जी ने मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ शुभंकर डे ने किया।
काव्य संध्या में पधारे कवियों तथा शायरों को कुलपति प्रो राजेश सिंह ने स्मृति चिन्ह, पुष्प गुच्छ तथा शॉल देकर सम्मानित किया। मशहूर कवि देवेंद्र आर्य, राजेश राज, वीरेंद्र दीपक, डॉ आर के राय, डॉ चारुशीला सिंह तथा शायर सरवत जमाल, नसीम सलेमपुरी, नदीम अब्बासी, नुसरत अतीक, शाकिर अली, शाकीर ने शानदार प्रस्तुति दे कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर गोरखपुर के नामवर शायर एवं इस्लामियां इण्टर कॉलेज के चीफ प्रॉक्टर नदीम अब्बासी की ग़ज़ल
जो खबर उसने उड़ाई है उड़ी रहने दो।
जंग जो बीच हमारे है छिड़ी रहने दो।
बात निकलेगी तो किस-किस को सफाई दोगे,
इसलिए कहता हूँ वो बात गड़ी रहने दो।
वक़्त से खाना दवा देती रहे मुझको बहू,
हाथ पे मेरे ये सोने की घड़ी रहने दो।
छीन कर मुझसे न ले जाओ ये पोता मेरा,
मुझको बेटे से मिलने की कड़ी रहने दो।
एक मुददत पे तो जीने की हवस जागी है,
मौत सरहाने खड़ी है तो खड़ी रहने दो।
कितने जतनो से तो दिल्ली से ये निकली है ‘नदीम’,
बस को लाहौर में कुछ देर खड़ी रहने दो।
को लोगों ने खूब पसंद किया और दाद दी ।