
*पडरौना, कुशीनगर*
जब जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को ताक पर रख देते हैं तो यही होता है जो पडरौना में हो रहा है ।
वर्षों से पडरौना में एक लेखपाल के द्वारा एक कोचिंग सेंटर का संचालन किया जा रहा है, जिसकी शिकायत मौखिक एवं लिखित रूप से अलग-अलग प्रकार से संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों सहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक से बार-बार की गई, परंतु जांच के नाम पर कोरी खानापूर्ति करने के अलावा अब तक किसी प्रकार की न तो विभागीय कार्रवाई हुई और ना ही उक्त कोचिंग सेंटर को बंद कराने की कोई कार्यवाही हुई। सभी जिम्मेदार अधिकारी इस बात को भलीभांति जानते हैं कि उक्त लेखपाल तहसील क्षेत्र पडरौना के अंतर्गत ही तैनात हैं, और पडरौना में स्टडी प्वाइंट नामक कोचिंग सेंटर निकट रेलवे स्टेशन पडरौना का वर्षों संचालन करते हैं। जिसमें बतौर फिजिक्स अध्यापक व सुबह और शाम दोनों समय सैकड़ों बच्चों को कोचिंग पढ़ाते हैं । सूत्रों की माने तो उक्त कोचिंग सेंटर से लाखों रुपए वसूल किए जाते हैं ,जबकि सरकार के द्वारा आम जनता की सेवा के लिए उन्हें लाखों रुपए से अधिक का वेतन मुहैया कराते हुए संबंधित क्षेत्र तथा तहसील में रहकर आम जनमानस की राजस्व संबंधी समस्याओं को हल करने तथा सरकार की जनहित में संचालित योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए उत्तरदाई बनाया गया है ।परंतु वह सुबह शाम दोनों समय वर्षों से कोचिंग सेंटर को लेकर व्यस्त रहते हैं, अपना काम कब करते हैं? यह एक अलग विषय है ।लेकिन यह भी एक अलग विषय है कि *एक सरकारी कर्मचारी क्या इस प्रकार कोचिंग सेंटर चलाने के लिए स्वतंत्र है*
*क्या उनका कोचिंग सेंटर वैधानिक रूप से रजिस्टर्ड है?*
और यदि है तो *क्या उनके द्वारा जो धन कोचिंग सेंटर से अर्जित किया जाता है उसका कोई ब्योरा दिया जाता है?*
साथ ही सरकार के द्वारा कोचिंग संस्थानों को संचालित करने के लिए जो मानक निर्धारित किए गए हैं उन मांगों पर किन-किन बिंदुओं पर या कोचिंग सेंटर खरा उतरता है?
इसकी जवाबदेही कौन तय करेगा कि कोचिंग सेंटर मानक पर है कि नहीं है?
यदि नहीं तो संचालित क्यों होता है?और इतनी बड़ी संख्या में किशोर किशोरियों की सुरक्षा एवं आवश्यक जिम्मेदारियों के लिए जिम्मेदार किसे ठहराया जा सकता है?