
अयोध्या। भगवान राम की नगरी में रंगभरी एकादशी पर संतों में रंगोत्सव का उत्साह दिखा। अयोध्या के सिद्धपीठ हनुमान गढ़ी पर सैकड़ों वर्षों से चल रही रंगोत्सव की परंपरा का भव्य आयोजन किया गया। इस दौरान बजरंजबली का विशेष पूजन करने के बाद ढोल और नगाड़े के धुन पर हनुमानगढ़ी के नागा साधुओं ने हनुमान जी के निशान के साथ निकले और राम नगरी के प्रमुख मठ मंदिरों में होली का निमंत्रण भी दिया। बड़ी संख्या में नागा साधु मंदिर से निकल कर सड़क पर हुड़दंग करते हुए पंचकोसी परिक्रमा करने निकले।
हनुमानगढ़ी के पुजारी राजू दास ने दावा किया कि इस बार होली को लेकर विशेष उत्साह है क्योंकि रामलला के अस्थाई मंदिर की आखिरी होली है। अगले साल 2024 में रामलला होली के पहले अपने नव भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। रंगभरी एकादशी हनुमान जी महाराज को रंग लगाया गया है अबीर खेला गया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या के विभिन्न मंदिरों में जाकर पूजन अर्चन कर होली का निमत्रण दिया गया। महंत ज्ञानदास के शिष्य हेमंत दास ने बताया कि हनुमानगढ़ी से हनुमान जी के निशान के साथ पंचकोसी परिक्रमा करते हुए राजगोपाल मंदिर, नरहरि मंदिर, तुलसी छावनी व मणिराम दास छावनी सहित कई मंदिरों में जाकर होली का निमंत्रण दिया गया। फिर सरयू स्नान के बाद हनुमानगढ़ी निशान लेकर वापस पहुंचे।
क्या है मान्यता?
धार्मिक मान्यता है कि रंगभरी एकादशी से रामनगरी में हनुमानगढ़ी पर हनुमान जी को अबीर और रंग लगाकर उनको शुभकामनाएं दी जाती है। इसके अलावा भगवान राम की नगरी में मठ मंदिरों में भी होली का निमंत्रण बांटने के लिए हनुमानगढ़ी के नागा साधु निकलते हैं, जहां मंदिरों में उनका स्वागत होता है और फगुआ गीत गाते हुए नागा साधु होली खेलते हैं।