
संतकबीरनगर। आज एक ऐसी ही निकाह शादी में शामिल होने का अवसर मिला।न लाव न लश्कर,न बरात की झुंड। सादगी के साथ निकाह हुई मस्जिद खलीलिया सेमरियावाँ में। निकाह कबूल है,के साथ दुआ हुई। शादी हो गई। इस मौके पर सीमित संख्या में तशरीफ लाए मेहमान भोजन किए।शादी कार्यक्रम संपन्न। शनिवार को मौलाना सेराज हमीदी की पुत्री हमीदा रहमान के निकाह के मौके पर यह दृश्य देखने को मिला।
इस मौके पर मौलाना अलीमुल्लाह कासमी महासचिव जमीयत उलमा महाराष्ट्र ने सादगी के साथ होने वाली शादी निकाह के बहुत से फायदे गिनाए। मौलाना कासमी ने कहा कि निकाह रोजा नमाज की तरह एक इबादत है।यह मनुष्य के लिए फितरी जरूरत है।निकाह एक ऐसी इबादत है,जो निकाह से शुरू होता और मरते दम तक जारी रहता है।
उन्होंने कहा की निकाह शादी का रिश्ता दीन दारी शराफत,ईमानदारी की बुनियाद पर कायम करें।तो यह रिश्ता जीवन भर कामयाब रहेगा।खानदानी इलाकाई रस्म रिवाज छोड़ने का आह्वान किया। जहेज एक लानत है,जहेज़ की भूख दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। जहेज़ न मिले लोग बेइज्जती समझते हैं। जहेज़ मिलने पर बखान करते हैं।जिस शादी विवाह में सबसे कम खर्च हो वह निकाह शादी विवाह बरकत वाला अच्छा होता है। निकाह शादी को एकदम सादगी के सादगी के साथ करें बोझ न बने किसी पर। हर मामलात में सादगी को अपनाएं। नमाज रोजा हज की तरह निकाह भी एक इबादत है।
इस अवसर पर मशहूर आलम चौधरी,जिला पंचायत सदस्य मो अहमद,शोएब अहमद नदवी,फूजेल अहमद नदवी,फैजान अहमद,जफीर अली करखी,अनवार आलम चौधरी,फिरोज अहमद नदवी,मुजीबुर्रहमान कासमी,मौलाना माशूक अहमद,मौलाना कलीमुल्लाह,मुजीब बस्तवी अब्दुल हफीज आदि मौजूद रहे। मौलाना अलीमुल्लाह कासमी निकाह पढ़ाई और दुआ कराई।