बुढ़ापे में जवान रहने का फार्मूला खोजने वाले मिर्जापुर के वैज्ञानिक WHO में विशेषज्ञ नियुक्त, दवाओं पर करेंगे काम
मिर्ज़ापुर : बुढ़ापे में जवान रहने का फार्मूला खोजने वाले वैज्ञानिक डॉ. मयंक सिंह डब्ल्यूएचओ में विशेषज्ञ के तौर पर शामिल होंगे. वह जनवरी से अपनी सेवाएं देंगे. वह डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य उत्पाद नीति और मानक कार्यालय द्वारा निर्धारित फार्मास्यूटिकल्स के मानदंडों और मानकों के दिशानिर्देश और मोनोग्राफ विकसित करने में अपना योगदान देंगे. उन्हें मंगलवार रात को इस संबंध में डब्ल्यूएचओ के मुख्यालय स्विट्ज़रलैण्ड से ईमेल कर दी गई है.
संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल डेंड्रिमर एंड नैनोटेक्नोलॉजी सेंटर में अनुसंधान और विकास के वरिष्ठ औषधि वैज्ञानिक के पद पर कार्य कर रहे डॉ. मयंक मिर्ज़ापुर जनपद के चुनार तहसील के बगहीं गांव के रहने वाले हैं. वैज्ञानिक डॉ. मयंक सिंह डब्ल्यूएचओ में विशेषज्ञ के तौर पर शामिल होने जा रहे हैं. वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए एक जनवरी से अपनी सेवाएं देंगे.डब्ल्यूएचओ के मुख्यालय स्विट्ज़रलैण्ड जिनेवा से मंगलवार को डॉ. मयंक को ईमेल से जानकारी दी गई है.
भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. मयंक ने बताया कि उनकी जिम्मेदारी फार्मास्युटिकल्स के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है, जिसमें विकास, उत्पादन, वितरण, निरीक्षण, क्वालिटी कंट्रोल, रेगुलेटरी स्टैंडर्ड्स और दवाओं की पूर्वयोग्यता शामिल है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे फार्मास्युटिकल उत्पादों की गुणवत्ता के लिए मानदंड और मानक डब्ल्यूएचओ द्वारा ही विकसित किया जाता है. जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के सभी दवा निर्माता देशों द्वारा स्वीकृत और पालन किया जाता है और भारत दुनिया के सबसे बड़े दवा निर्माता में से एक है जिसके प्रमुख खंड जेनेरिक दवाएं, ओटीसी दवाएं और बल्क एपीआई हैं.
डब्ल्यूएचओ का यह विभाग अंतरराष्ट्रीय फार्माकोपिया को भी प्रकाशित करता है.इनकी दिशानिर्देशों का उपयोग सरकारी दवा निरीक्षकों के साथ-साथ अस्पतालों में बड़े पैमाने पर प्रक्रियाएं और नैदानिक परीक्षणों में उपयोग के लिए आपूर्ति की तैयारी के नियम भी शामिल करते है. डब्ल्यू एचओ दवा निर्माता को श्रमिकों की सुरक्षा और पर्यावरण के प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न दिशा निर्देश भी शामिल है.
डब्ल्यूएचओ पर एक नजर
डब्ल्यूएचओ का मुख्यालय स्विट्ज़रलैण्ड के जिनेवा शहर में स्थित है.इस संस्था की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गयी थी.संगठन के 194 देश सदस्य और दो संबद्ध सदस्य हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व के देशों के स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानव को स्वास्थ्य सम्बन्धी समझ विकसित कराने की संस्था है.इस यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है.इसका उद्देश्य सम्पूर्ण देशों के लोगों के स्वास्थ्य का स्तर ऊंचा करना होता है.भारत भी विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक सदस्य है. भारतीय मुख्यालय देश की राजधानी दिल्ली में स्थित है.
चार्टर्ड साइंटिस्ट का खिताब मिल चुका है
डॉ. मयंक की पहचान कोविड 19 के समय हुई थी. उनकी उत्कृष्ट क्षमताओं को कोविड-19 महामारी के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका के आप्रवासन सेवाओं द्वारा पहचान कर स्पेशल ओ-1 वीसा पर आपातकालीन नियुक्ति कराई गई थी. उन्हें वैज्ञानिक अनुसंधान में उत्कृष्ट योगदान के लिए लंदन की रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री द्वारा पिछली 31 जुलाई 2023 को “चार्टर्ड साइंटिस्ट” के रूप में लंदन के विज्ञान परिषद् में शामिल किया गया है. डॉ. मयंक ने इससे पहले डेंड्रिमर नैनोटेक्नोलॉजी आधारित एंटी-एजिंग (बुढ़ापा विरोधी) फार्मूला भी विकसित किया है जो उम्र को जवां बनाए रखने में मदद करेगा. डॉ. मयंक विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक संगठन सिग्मा-षि के एक मूल्यवान सदस्य भी हैं जो लगभग 137 वर्ष पुराना प्रतिष्ठित वैज्ञानिक समुदाय है जिसके 200 से अधिक नोबेल पुरस्कार विजेता रहे हैं.
हैदराबाद में भी पढ़ चुके हैं डॉ. मयंक
डॉ. मयंक बुंदेलखंड विश्वविद्यालय-झांसी और हैदराबाद के नलसर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के प्रतिष्ठित छात्र रहे हैं.डॉ. मयंक संयुक्त रूप से भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद एवं वैज्ञानिक और नवीकृत अनुसंधान अकादमी, नई दिल्ली के लिए भी अलमा मैटर को साझा करते हैं.साथ ही यूनाइटेड किंगडम-लंदन बायोमिमेटिक रसायन विज्ञान के विशेषज्ञ टीम में शामिल भी हैं. डॉक्टर मयंक सिंह ने कहा कि अमेरिका की कर्म भूमि से भारत की जन्मभूमि को प्रणाम करता हूं. आप लोगों के सहयोग को लेकर में धन्यवाद देता हूं, मैं पूरी निष्ठा के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन के अपने पद का दायित्व निभाऊंगा.
पांच बार नोबेल के लिए नामांकित डॉ. डोनाल्ड ने दी शुभकामनाएं
नोबेल पुरस्कार के लिए 5 बार के नामांकित (डेंड्रिमर और डेंड्राइटिक पॉलिमर की खोज के लिए) डॉ. डोनाल्ड टोमालिया डेंड्रिमर्स के पिता एवं मार्ग-निर्माता है.नेशनल डेंड्रिमर एंड नैनोटेक्नोलॉजी सेंटर माउन्ट प्लीजेंट, मिशिगन, संयुक्त राज्य अमरीका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. डोनाल्ड टोमालिया ने ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ. मयंक को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) शामिल होने पर शुभकामनाएं दी है. डॉ. डोनाल्ड टोमालिया का मानना है कि डॉ. मयंक फार्मास्युटिकल दिशानिर्देशों और मोनोग्राफ से संबंधित अपने बहुमूल्य सुझाव और टिप्पणियां देने के लिए पूरी निष्ठा से अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कल्याण का उत्तरदियत्व निभाएंगे.