
लखनऊ । नीदरलैंड की तर्ज पर 2015 में प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ शहर के 28 स्थानों पर साइकिल ट्रैक का निर्माण कराया था। लखनऊ वासियों ने इसे खूब सराहा, करीब दो वर्षों तक लोगों को सुरक्षित साइकिल चलाने और पैदल चलने में आसानी हुई, लेकिन 2017 में प्रदेश सरकार का निजाम बदला और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी जहां शहर की सड़कों का विस्तार हुआ और शहर में बनाये 28 साइकिल ट्रैक अतिक्रमण की भेट चढ़ गये।
लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष इन्द्र मणि त्रिपाठी के मुताबिक 2 मार्च 2015 को लखनऊ के चार मार्गों पर साइकिल ट्रैक बनाये गये, इन्हें बनाने में 40 लाख प्रति किमी का खर्चा आया। इसके बाद लखनऊ में करीब 28 अलग-अलग स्थानों पर साइकिल ट्रैक बनाये गये, इसके लिए उस वक्त 49 करोड़ 56 लाख रुपया का खर्चा आया लेकिन आज वर्तमान समय में साइकिल ट्रैक अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। साइकिल ट्रैक पर लोगों का चलना दूर, चारों तरफ से ठेले खोमचे वाले से लेकर पान की गुमटियां नजर आती हैं। जबकि पहले लोग सुबह-शाम इस ट्रैक पर साइकिल से आवागम करते थे जो सुरक्षित था लेकिन आज साइकिल वालों को हमेशा दुर्घटना होने का भय बना रहता है। साइकिल ट्रैक की बदहाली का हाल यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के घर के सामने ही उखड़ गया है। इन साइकिल ट्रैक पर लगाई गई महंगी स्ट्रीट लाइटें शोपीस बन गयी हैं।
इन पाश इलाके में सबसे पहले बनाये गये साइकिल ट्रैक
लखनऊ में सबसे पहले विक्रमादित्य मार्ग, कालीदास मार्ग, लोहिया पथ से लेकर लॉ मॉर्टिनियर तक साइकिल ट्रैक बने, दूसरे चरण में फैजाबाद रोड से हैनीमैन चौराहे, फैजाबाद रोड से मल्हौर स्टेशन, मल्हौर रोड से एमिटी तिराहे, सहारा अस्पताल से हुसड़िया चौराहे तक, हुसड़िया चौराहे से ग्वारी चौराहे तक, ग्वारी चौराहे से सीएमएस तक, विपुल खंड से लोहिया चौराहा और हुसड़िया चौराहे से पत्रकारपुरम, आईटी कॉलेज से न्यूनिवर्सिटी तक साइकिल ट्रैक का निर्माण हुआ।