Piyush Jain Raids: नोट के बंडलों को सुरक्षित रखने के लिए कारोबारी पीयूष जैन अपनाता था नायाब तरीका, अपने केमिकल ज्ञान का करता था इस्तेमाल
इनकम टैक्स की रेड के बाद चर्चाओं में आए उत्तर प्रदेश में कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन की चार्जशीट में कई बड़े खुलासे हो रहे हैं. पीयूष के पास से 197 करोड़ रुपए कैश और करोड़ों का सोना बरामद हुआ था. 197 करोड़ रुपए की कमाई को सुरक्षित रखने के लिए पीयूष जैन ने खास तरकीब का इस्तेमाल किया.
जैन ने नोटों के बंडलों को सहेजन के लिए अपनी विशेषज्ञता अच्छे से इस्तेमाल किया. डीजीजीआई ने जब कारोबारी पीयूष जैन से पूछताछ की तो उसकी अकूत संपत्ति को लेकर कई अहम खुलासे हुए.आर्गेनिक केमिस्ट्री से पोस्ट ग्रेजुएट पीयूष ने डीजीजीआई से पूछताछ में बताया कि, पीयूष ने काले धंघे के दम पर जमा धन को सुरक्षित रखने के लिए केमिकल तैयार किया और नोटों के बंडलों को केमिकल के पैक में सुरक्षित किया.
बंकरों और बोरों के अंदर मिले थे 197 करोड़
पीयूष के आनंदपुरी और कन्नौज के घरों की अलमारियों, बंकरों और बोरों के अंदर 197 करोड़ रुपए मिले. दीमक और कीड़े मकोड़ों से नोटों के इस भंडार को बचाने के लिए पीयूष ने केमिकल का इस्तेमाल किया. डीजीजीआई के नोटों की सुरक्षा, पैकिंग के सवाल पर बताया कि नोटों की पैकिंग सिर्फ वही करता था क्योंकि उसके पास लंबे समय तक उन्हें सुरक्षित रखने की तरकीब थी.
पीयूष जैन ने बताया कि, पैकिंग मैटेरियल खुद बाजार से लाता था. एक ही तरह का प्लास्टिक रैपर, एक ही तरह के टेप और एक ही तरह के कागज इस काम में इस्तेमाल किए जाते थे. केमिस्ट्री में अच्छी पकड़ होने के नाते नोटों को दीमक से बचाने के लिए खास केमिकल तैयार किए थे. नोटों की पैकिंग से पहले केमिकल की कोटिंग करता था. इसके बाद ही बंडलों को पैक करता था.
कैसे हुआ था पीयूष जैन के कालेधन का खुलासा
DGGI ने अपनी चार्जशीट में इन सभी बातों का खुलासा किया है. ये चार्जशीट 334 पेज की है जिसमें पीयूष जैन ही मुख्य आरोपी है. आरोप है कि घर और कन्नौज की कोठी दोनों के निर्माण के वक्त ही कई रहस्यमय कमरे, बेसमेंट, दरवाजे आदि बनवाए गए थे. 22 दिसंबर को कानपुर के घर और 24 दिसंबर को कन्नौज की कोठी पर छापा मारा गया था. शुरुआत में तलाशी के दौरान टीमों को पूरे घर से कुछ भी बरामद नहीं हो पाया था.
इसी दौरान DGGI अधिकारियों की नजर उसकी छत से लगी दूसरी छत पर गई. दोनों घरों बीच एक छोटी सी दीवार थी. ये किसका घर है? जवाब में प्रत्यूष ने कहा, मेरा ही है. इसका रेनोवेशन करा रहे हैं. डीजीजीआई टीम ने उस घर में चलने के लिए कहा तो पीयूष बोला, इसका गेट पीछे है. बस यहीं से पीयूष के काले धन का खुलासा हुआ.
उधर पीयूष जैन के तार अब पश्चिम बंगाल के एक सुपारी तस्कर से जुड़े हैं. आयकर विभाग की टीम ने सिलीगुड़ी के सुपारी कारोबारी नारायण अग्रवाल के 25 ठिकानों पर एक साथ छापे मारे हैं. आयकर विभाग की टीम पीयूष जैन के संपर्क की तलाश करते हुए सिलीगुड़ी पहुंची है.