
गोरखपुर। माह-ए-रमज़ान के दूसरे जुमे की नमाज़ शहर की सभी मस्जिदों में मुल्क में अमनो सलामती की दुआ के साथ अदा की गई। हर मुसलमान की जुबां पर ‘ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह’ का विर्द जारी रहा। आठवां रोजा अल्लाह की इबादत में गुजरा। जुमा की तकरीर में उलमा किराम ने नमाज, रोजा, जकात, सदका, एतिकाफ सहित तमाम विषयों पर चर्चा की। मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि जिस्म और रूह से मिलकर इंसान बना है।
यूं तो साल भर इंसान खाना-पीना और जिस्मानी व दुनियावी जरूरतों का ख्याल रखता है, लेकिन मिट्टी के बने इंसान में असल चीज तो उसकी रूह होती है अल्लाह ने रूह की तरबियत और पाकीजगी के लिए माह-ए-रमज़ान बनाया है। आज हम एक ऐसे दौर से गुजर रहें हैं जहां इंसानियत दम तोड़ती नज़र आ रही है और खुदगर्जी हावी हो रही है। ऐसे में माह-ए-रमज़ान का महीना इंसान को अपने आप के अंदर झांकने और खुद की खामियों को दूर कर नेक राह पर चलने का मौका देता है।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में नायब काजी मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम के पांच बुनियादी वसूल में रोजा भी एक है और इस अमल के लिए माह-ए-रमज़ान मुकर्रर किया गया। पाक परवरदिगार भी इबादत गुजार रोजेदार बंदे को बदले में रहमतों और बरकतों से नवाजता है।
सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह में मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने विभिन्न मौकों पर रमज़ानुल मुबारक की फजीलत बयान फरमाई है और इसकी अज़मत और अहमियत दिलों में बिठाई है। आपने फरमाया है कि यह महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है। गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कहा कि रमज़ान हमदर्दी व गम ख्वारी का महीना है। यह ऐसा महीना है जिसमें मोमिन का रिज़्क बढ़ा दिया जाता है। रमज़ान के महीने में की गई इबादत व नेकी का सवाब कई गुना हो जाता है।
तकरीर के बाद खुतबा पढ़ा गया। जुमा की नमाज सबने मिलकर अदा की। दुआ मांगी गई। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम व अहले बैत पर सलातो-सलाम का नज़राना पेश किया गया। शाम को सबने मिलकर इफ्तार किया। महिलाओं ने घर में इबादत की। सिरों पर टोपी लगाए नन्हे-मुन्ने बच्चे बहुत प्यार लगे। पूरा जुमा इबादत में गुजरा। बाजारों में चहल पहल है।