परशुराम की मूर्ति लगाने की बात अब अखिलेश नहीं करते: शिव प्रताप शुक्ल
प्रयागराज: पूर्व केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और राज्यसभा सदस्य शिव प्रताप शुक्ल ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में ब्राह्मणों के आराध्य देवता परशुराम की मूर्तियां लगाने की बात करने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अब कहीं मूर्ति लगाने की बात नहीं करते। स्थानीय सर्किट हाउस में के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पूर्व राज्य में परशुराम की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर सपा अध्यक्ष ने ब्राह्मणों से वादा किया था, इसके बावजूद 90 प्रतिशत से अधिक ब्राह्मणों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया। अब अखिलेश कहीं मूर्ति स्थापित करने की बात नहीं करते।” यहां परशुराम जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने आए शुक्ला ने कहा, “महापुरुषों को कभी भी जातीय रंग में नहीं रंगना चाहिए।
भाजपा ने न उस वक्त (विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान) मूर्ति स्थापित करने की बात की और न आज कर रही है, लेकिन वह भगवान परशुराम के सिद्धांतों को लेकर प्रतिबद्ध है। भाजपा अन्याय, आतंकवाद को खत्म करने की बात करती है।” नये कृषि कानून को लेकर किसानों के आंदोलन और कृषि कानूनों को वापस लिये जाने पर पूर्व मंत्री ने कहा, “कुछ आढ़तियों के समर्थन से यह आंदोलन हुआ, जिससे सरकार को यह कानून वापस लेना पड़ा। निश्चित तौर पर 83 प्रतिशत किसानों, खासकर छोटे किसानों को इस कानून का लाभ मिलना था।” उन्होंने कहा, “पिछले दरवाजे से किसी और का किसान आंदोलन को समर्थन था और विपक्ष भी इसे अपना समर्थन दे रहा था।
हालांकि उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में जहां भी चुनाव हुए, जनता ने दिखा दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही किसानों के हितैषी हैं, कोई और नहीं।” उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के लिए सरकार की पहल का जिक्र करते हुए शुक्ला ने कहा, “उत्तर प्रदेश में खांडसारी इकाइयों पर चीनी मिल से अधिक टैक्स लगता था। वित्त राज्यमंत्री रहते मैंने प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश से प्रस्ताव मंगाया और खांडसारी उद्योग को जीएसटी से पूरी तरह मुक्त कराने का काम किया।” उन्होंने कहा कि यही वजह है कि विपक्ष की लाख कोशिशों के बावजूद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को बहुमत मिला और पार्टी ने दोबारा सरकार बनाई।