श्रीरामचरितमानस विश्व का अमूल्य ग्रंथ : प्राचार्य
सुलतानपुर। स्थानीय संत तुलसीदास पीजी कॉलेज के शिक्षा संकाय ने कर्मयोगी पं राम किशोर त्रिपाठी की स्मृति में शिक्षा की नवीन प्रवृत्तियां विषय पर एक शैक्षिक संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य आरएन सिंह ने कहा कि शिक्षा को प्रत्येक लोगों तक पहुंचाने एवं अपने मानस में उतारने की जरूरत है।
तुलसी के मानस की चर्चा करते हुए कहा कि रामचरितमानस भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का अमूल्य ग्रंथ है। जीवन का ऐसा कोई पक्ष नहीं है, जिनके लिए मानस में निर्देशित न किया गया हो। डॉ इंदु शेखर उपाध्याय ने कहा कि प्रकृति सबकी माता है। हम उसके साथ किसी प्रकार का छेड़छाड़ नहीं कर सकते, क्योंकि प्रकृति ही हमको अच्छी शिक्षा देती है।
इसलिए उसको समझना प्रत्येक व्यक्ति के लिए अति आवश्यक है। शिक्षा शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ आदित्य नारायण त्रिपाठी ने अनेकों धर्मों एवं संप्रदायों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानव हित ही सर्वोपरि होना चाहिए। शिक्षा को सदैव मानव के लिए ही कार्यशील होना चाहिए। जब तक शिक्षा व्यवहार में न उतर जाए, वह शिक्षा, शिक्षा नहीं हो सकती।
महाविद्यालय के प्रबंधक सौरभ त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षा के द्वारा ज्ञानवान होना उतना कठिन नहीं है जितना कि संस्कारवान होना। इसलिए व्यवहारिक बनिए। कार्यक्रम के संयोजक डॉ संतोष कुमार पांडेय ने सेमिनार में आए हुए समस्त अतिथियों का परिचय कराया एवं विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। यहां शिक्षा संकाय विभागाध्यक्ष कार्यक्रम समन्वयक डॉ अशोक कुमार पांडेय, डॉ विजय नारायण तिवारी, डॉ अनिल कुमार पांडेय, डॉ समीर कुमार पांडेय, चंद्रमौली शुक्ला एवं डॉ श्याम बिहारी मिश्रा आदि रहे।