श्रृष्टि संवत् भारत ही नहीं सम्पूर्ण प्रकृति का नववर्ष है : मनोज
लखनऊ। भारतीय नववर्ष के स्वागत के उपलक्ष्य में शनिवार को अंतरराष्ट्रीय बोध संस्थान के सभागार में नृत्य नाटिका ”नमामि रामम्” का सारस्वत आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन नववर्ष चेतना समिति द्वारा किया गया। इस अवसर पर आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित नव चैतन्य स्मारिका एवं हिन्दी तिथियों पर आधारित नव चैतन्य पंचांग का लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अवध प्रान्त के सह प्रान्त प्रचारक मनोज ने कहा कि आजादी के बाद एक ऐसा व्यक्ति सत्ता में बैठा जो कहता था कि मैं एक्सीडेंटल हिंदू हूं। उन्होंने कहा कि यह श्रृष्टि संवत् है। भारत की काल गणना का आधार सूर्य और चंद्रमा है। यह केवल हिन्दू का ही नहीं सम्पूर्ण विश्व का सम्पूर्ण प्रकृति का नववर्ष है। वसुधैव कुटुंबकम् को मानने वाले हम लोग हैं। त्याग पूर्वक उपभोग हम करते हैं। हम दुनिया को आर्य बनाना चाहते हैं।
सह प्रान्त प्रचारक ने कहा कि अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने का काम किया। यही काम रावण ने किया था। लार्ड मैकाले ने कहा था कि भारत को नष्ट करना है तो भारत की शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करना पड़ेगा। मनोज ने कहा कि शिक्षा का व्यवसायीकरण हो रहा है। बाराबंकी की कुर्सी विधान सभा से विधायक साकेन्द्र प्रताप वर्मा ने कहा कि चैती चांद का अपभ्रंश ही चेटीचंड है। भारत बहुत गौरवशाली देश है।
मुगल आक्रांताओं ने हमारी सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने का काम किया। पंचांग सुधार समिति ने 1952 में मेघनाद साहा की अध्यक्षता में कमेटी गठित हुई। समिति ने शक संवत स्वीकार करने को कहा था। विक्रम संवत को नहीं स्वीकार किया गया। लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि विक्रमादित्य की प्रतिमा लगवाने में हम पूरा सहयोग करूंगी। कार्यक्रम का संचालन भारतीय नववर्ष चेतना समिति के सचिव डा. सुनील कुमार अग्रवाल ने किया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अवध प्रांत के प्रचार प्रमुख डॉ अशोक दुबे, बाल संरक्षण आयोग के सदस्य श्याम त्रिपाठी, केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एस एन शंखवार, रेखा तिवारी, लखनऊ दक्षिण भाग के सह भाग संघचालक भुवनेश्वर, सुधीर हलवासिया और डॉक्टर बी एन सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।