18वीं विधानसभा में योगी के सामने होगा मजबूत विपक्ष
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा का विपक्ष कमजोर नहीं होगा। इस बार विधानसभा में 17वीं विधानसभा की तरह नेता प्रतिपक्ष के तौर पर रामगोविंद चौधरी न सही, अखिलेश यादव और आजम खान जैसे समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता जरूर दिखेंगे। इन दोनों नेताओं के सदन में मौजूदगी से सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक के साथ ही मजबूत बहस देखने को मिल सकती है।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से इस बार चुनाव लड़े और जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। उनके साथ रामपुर से सपा के कद्दावर नेता आजम खान भी चुनाव जीते हैं। यह दोनों नेता 2019 के लोकसभा चुनाव में संसद पहुंचे थे। सपा के इन नेताओं के समक्ष लोकसभा और विधानसभा चुनने का अवसर आया तो इन्होंने लोकसभा से इस्तीफा देकर विधानसभा का चयन किया है। इससे स्पष्ट है कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश को प्राथमिकता के तौर पर रख रही है।
लोकसभा से इस्तीफा देकर अखिलेश यादव ने अपने समर्थकों के बीच उत्तर प्रदेश प्राथमिकता वाला संदेश तो दिया ही है, साथ ही सदन के भीतर अपने विधायकों का उत्साहवर्धन भी करते हुए दिखाई देंगे। 17 वीं विधानसभा में सत्ता पक्ष बेहद मजबूत था। भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के पास 325 विधायक थे। वहीं विपक्ष में सभी दलों को मिलाकर केवल 78 सदस्य ही थे। इस बार भारतीय जनता पार्टी गठबंधन 273 विधायकों के साथ सदन में मौजूद रहेगी।
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के विधायकों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। 18वीं विधानसभा में अखिलेश यादव अपनी बड़ी टीम के साथ सदन में सत्ता पक्ष का सामना करते हुए नजर आएंगे। सत्ता पक्ष की तरफ से अगर नेता सदन के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मंत्री सुरेश खन्ना, सतीश महाना, बृजेश पाठक, श्रीकांत शर्मा, नीलकंठ तिवारी, दयाशंकर सिंह जैसे आक्रामक तेवर वाले नेताओं का विपक्ष की तरफ से रामगोविंद चौधरी की गैरमौजूदगी में अखिलेश यादव, आजम खान और शिवपाल यादव जैसे कद्दावर नेता नेताओं का आमना सामना होगा।
भाजपा बोली, अखिलेश को 2024 में हार का डर
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अखिलेश यादव के इस्तीफे को 2024 में सपा की हार के डर के रूप में देख रही है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि आजमगढ़ संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का इस्तीफा समाजवादी पार्टी का 2024 के लोकसभा चुनाव में हार की स्वीकारोक्ति है। 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रचंड बहुमत की सरकार बनेगी। इस बात का आभास अखिलेश यादव को हो चुका है। एक और हार से बचने के लिए अखिलेश यादव ने संसदीय सीट से इस्तीफा दिया है।