सूर्य मूर्ति प्राकट्य उत्सव 30 एवं 31 जुलाई को
- देश एवं विदेश के 109 पवित्र नदियों के जल से होगा भगवान भास्कर का अभिषेक
पडरौना, कुशीनगर। जनपद कुशीनगर के तुर्कपट्टी क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक सूर्य मंदिर पर आगामी 30 एवं 31 जुलाई को सूर्य प्राकट्य उत्सव कार्यक्रम की तैयारी अंतिम चरण में है। यह जानकारी कार्यक्रम के संयोजक एवं पूर्वांचल महोत्सव समिति के अध्यक्ष विनय राय ने पडरौना स्थित हनुमान इंटर कॉलेज में एक प्रेस वार्ता के दौरान दी। उन्होंने कार्यक्रम के संदर्भ में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि भारत में बहने वाली लगभग सभी पवित्र नदियों के जल के अलावा नेपाल के पशुपतिनाथ, मॉरीशस के गंगा घाट एवं भूटान स्थित तीन नदियों के संगम का जल एकत्रित किया गया है, जिस जल से भगवान भास्कर का अभिषेक 31 जुलाई को किया जाना है। उन्होंने बताया आगामी 29 जुलाई शनिवार को ऋषियों की तपोस्थली आजमगढ़ के चंद्रमा ऋषि के आश्रम से समस्त नदियों के जल की शोभायात्रा का शुभारंभ होगा ।यह कलश यात्रा ऐतिहासिक बेलौली धाम में प्रभु श्री राम के भ्राता लक्ष्मण जी को नमन करते हुए दोहरीघाट होते हुए देवरिया जो देवरहा बाबा की तपोस्थली है पहुंचेगा और यात्रा का पड़ाव जनपद कुशीनगर के कसया स्थित प्रसिद्ध श्री राम जानकी मठ पर होगा।
30 जुलाई रविवार को साधु संतों के नेतृत्व में कलश यात्रा तुर्कपट्टी स्थित सूर्य मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी, जहां संध्याकाल में पधारे संतों का आशीर्वचन भी प्राप्त होगा। 31 जुलाई को एकत्रित समस्त पवित्र नदियों के जल से भगवान सूर्य की प्रतिमा का अभिषेक, हवन का कार्यक्रम संपन्न होगा और इन्हीं पवित्र नदियों के जल से बनाया गया महाप्रसाद सभी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने तुर्कपट्टी स्थित भगवान सूर्य मूर्ति प्राकट्य उत्सव के ऐतिहासिक महत्व की जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 31 जुलाई 1981 को इस गुप्तकालीन नीलम पत्थर से बनी हुई भगवान सूर्य की प्रतिमा का प्राकट्य हुआ था। इसी कारण से यह कार्यक्रम 31 जुलाई को निश्चित किया गया है। श्री राय ने बताया कि इस पवित्र, ऐतिहासिक बेशकीमती मूर्ति की चोरी हो गई थी और बाद में उसको पुनः प्राप्त किया जा सका। अतः ऐसी संभावना है कि इस मूर्ति का तमाम अपवित्र हाथों का भी स्पर्श संभव है। यही कारण है कि देश की सभी पवित्र नदियों के जल सहित नेपाल मारीशस और भूटान से आए हुए पवित्र जल से पवित्र मूर्ति का अभिषेक किया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रयागराज स्थित गंगा जमुना एवं अदृश्य सरस्वती के संगम का जल , त्रिवेणी के तीन नदियों के संगम का जल, एवं पंचनद यानी पांच नदियों के संगम चंबल के औरैया से और 7 नदियों के एक साथ मिलने वाले सप्तधारा के नाम से जाने जाने वाले गरियाबंद , महासमुंद जिला और रायपुर जिला की सीमा रेखा पर ग्राम सभा हथखोज से जल लाया गया है। उन्होंने आगे बताया कि नैमिषारण्य के जल जिसकी संपूर्ण तीर्थों के जल के रूप में मान्यता है लाया गया है। श्री राय ने बताया कि ऊर्जा के एकमात्र सबसे बड़े स्रोत भगवान भास्कर एवं संपूर्ण जगत में जीवन की उत्पत्ति की कारक संपूर्ण पवित्र नदियों के जल का यह अनूठा संगम ऐतिहासिक होगा। उन्होने बताया कि अब तक कुल 109 पवित्र नदियों का जल एकत्रित किया जा चुका है। उन्होंने सभी का आह्वान किया कि जनपद में सूर्य प्राकट्य उत्सव जो धर्म आस्था एवं विश्वास का महापर्व होगा, अवश्य अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। पत्रकार वार्ता के दौरान हनुमान इंटरमीडिएट कॉलेज के प्रबंधक मनोज शर्मा सारस्वत, विद्यालय के प्रधानाचार्य शैलेंद्र दत्त शुक्ल, पत्रकार तथा कवि दिनेश भोजपुरिया, विनय तिवारी, संजय सिंह , विनीत मिश्र रिंकू आदि लोग उपस्थित रहे।