
बहराइच। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।इस व्रत को वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता है। कई जगह ये उपवास ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखे जाने का विधान है।इस दिन वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु व डालियों व पत्तियों में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है।व्रत रखने वालों को मां सावित्री और सत्यवान की इस पवित्र कथा को सुनना जरूरी माना गया है।सुहागिने जयेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पति के दीर्घ आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा की जाती है।इसी क्रम में शहर व ग्रामीण अंचलों में सुबह से ही सुहागिनें वट वृक्ष के पूजन अर्चन करते हुए देखी गयी।बहुत से घरों में घर पर ही वट वृक्ष की पूजा की गई जिसमें अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए प्रार्थना की गयी।