उत्तर प्रदेशलखनऊ

अकबर नगर में बनेगी देश की पहली नाइट सफारी, चिड़ियाघर भी होगा शिफ्ट

लखनऊ। कामगारों की बस्ती के रुप में पहचान रखने वाले अकबर नगर का नाम विश्व पटल पर दर्ज होने जा रहा है। यहां देश की पहली और दुनियां की पांचवीं नाइट सफारी बनाने का खाका तैयार हो गया है। लखनऊ चिड़ियाघर भी यहीं पर स्थापित किया जाएगा। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से नाइट सफारी की अनुमति मिलने के बाद इसका डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार किया जा रहा है।

योगी सरकार कुकरैल वन क्षेत्र को ईको टूरिज्म हब बनाने जा रही है। रहीमनगर, भीखमपुर और अकबर नगर से अवैध निमार्ण को हटाकर जगह खाली कराया जा रहा है। यहां के 855.07 एकड़ क्षेत्र में परियोजना विकसित की जाएगी। यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर आएगी, जिससे विदेशी पर्यटक भी आकर्षित होंगे। नाइट सफारी क्षेत्र में इंडियन वॉकिंग ट्रेल, इंडियन फुटहिल, इंडियन वेटलैंड, एरिड इंडिया व अफ्रीकन वेटलैंड की थीम पर विकसित किए जाने वाले क्षेत्र मुख्य आकर्षण होंगे।

नाइट सफारी में 42 इनक्लोजर में 54 प्रजातियों के जानवरों को रखा जाएगा। सफारी की अधिकतम क्षमता 8 हजार व्यक्ति प्रति रात्रि होगी। पर्यटकों के सैर के लिए 5.5 किमी ट्राम-वे व 1.92 किमी का पाथ-वे बनेगा। सफारी में एशियाटिक लॉयन, घड़ियाल, बंगाल टाइगर, उड़न गिलहरी, तेन्दुआ, हायना आदि जीव आकर्षण का केंद्र होंगे। कुकरैल नदी के दोनों तरफ सुंदर पार्क विकसित किए जाएंगे और एडवेंचर एक्टिविटी भी होंगी।
कायम होगा कुकरैल का खोया वजूद

वर्ष 1904 में प्रकाशित लखनऊ के गजेटियर के अनुसार कुकरैल महोना में अस्ती गांव के उत्तर से निकलती है। यह शहर के ठीक नीचे भीखमपुर के पास गोमती नदी में मिल जाती है। गजेटियर के अनुसार कुकरैल का पानी अपनी शुद्धता के लिए प्रसिद्ध हुआ करता था। बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता का कहना है कि गोमती के अस्तित्व के लिए अविरल निर्मल कुकरैल नदी आवश्यक है। क्योंकि यह गोमती की सहायक है।

कुकरैल नदी मध्य लखनऊ शहर से गुजरते समय भारी मात्रा में पानी लाती रही है। 1962 में तटबंध के निर्माण से पहले, कुकरैल नदी बैराज के नीचे की ओर (जहां वर्तमान ताज होटल और अंबेडकर पार्क स्थित है) गोमती से मिलती थी। लेकिन तटबंध के निर्माण के बाद यह हिस्सा नदी की मुख्यधारा से कट गया। कुकरैल के रिपेरियन बफर को बांधों, नालों और अनियोजित शहरीकरण से काफी नुकसान हुआ है।

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