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सरकार ने बिजली कर्मियों की हड़ताल को बताया असंवैधानिक, हाईकोर्ट भी हुआ सख्त

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूनियन पदाधिकारियों के खिलाफ जारी किया जमानती वारंट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बिजली कर्मियों की हड़ताल को असंवैधानिक घोषित किया है। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी विद्युत कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्त रुख अपनाते हुए बिजली यूनियन के पदाधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है।

प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने शुक्रवार को यहां कहा कि विद्युत कार्मिकों व कुछ संगठनों के द्वारा कार्य बहिष्कार के लिए 72 घंटे की उनकी हड़ताल पूरी तरह से असंवैधानिक एवं लोगों के व राष्ट्र के हित में नहीं है। यह देश एवं प्रदेश के विकास में बाधा बनेगा। ऐसा कृत्य सिर्फ कुछ राष्ट्रविरोधी लोग व ताकतें ही कर सकती हैं। जो अपनी हठधर्मिता के कारण ऐसी परिस्थिति पैदा किये हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों से विद्युत आपूर्ति को बाधित एवं क्षतिग्रस्त करने की शिकायतें मिली हैं। ऐसे असमाजिक तत्वों को सख्त संदेश है कि किसी भी प्रकार का संवेदनहीन एवं राष्ट्र विरोधी कार्य करके वे पृथ्वी, आकाश व पाताल में कहीं पर भी छिप नहीं सकते। उन्हें खोज निकाला जायेगा और कानूनी कार्यवाही करते हुए कठोर दण्ड दिया जायेगा।

ऊर्जा मंत्री ने प्रेसवार्ता आयोजित कर कहा कि प्रदेश में विद्युत आपूर्ति पूरी तरह से नियंत्रण में है। सप्लाई, डिमांड एवं स्थानीय आपूर्ति पूरी तरह से नियंत्रित है। विद्युत आपूर्ति एवं उत्पादन पर्याप्त है। यहां किसी प्रकार की समस्या नहीं है। केन्द्रीय पूल से भी पर्याप्त बिजली मिल रही है। कहीं से भी कोई बड़ी घटना या अप्रिय समाचार नहीं है। फिर भी चुनौती और समस्या अभी है, इसलिए सभी लोग इस समय धैर्य का परिचय दें। शीघ्र ही इस समस्या का समाधान कर लिया जायेगा।

उधर, विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन एवं हड़ताल का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीर संज्ञान लिया है। शुक्रवार को पारित एक सख्त आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा है कि विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति की यह हड़ताल बिल्कुल अनुचित है, जनहित के विरुद्ध है और जनता को परेशान करने वाला है। उच्च न्यायालय ने पूरे प्रदेश को परेशान करने वाला एवं जनहित के विरुद्ध इस कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा की है। साथ ही न्यायालय ने कर्मचारी संघर्ष समिति के नेताओं के विरूद्ध जमानती वारंट जारी करते हुए उन्हें 20 मार्च को हाजिर होने के लिए आदेशित किया है।

राज्य सरकार का कहना है कि उच्च न्यायालय का यह आदेश हाईकोर्ट द्वारा ही 6 दिसंबर 2022 के दिए गए आदेश से जुड़ा हुआ है, जिसमें उच्च न्यायालय ने कहा था, कि विद्युत आपूर्ति एक आवशयक सेवा है और उसमें बाधा डालना स्विकार नहीं है। माननीय उच्च न्यायालय ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि संघर्ष समिति द्वारा चलाई जा रही हड़ताल, उनके पूर्व के आदेश की अवहेलना है और जिसके लिए कोर्ट के आदेश की अवमानना की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है।

गौरतलब है कि अपनी मांगों को लेकर विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति से जुड़े बिजली कर्मचारी गुरुवार रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए हैं। विद्युत कर्मियों की हड़ताल के चलते प्रदेश के कई जिलों में बिजली आपूर्ति पर असर पड़ा है। हालांकि सरकार का दावा है कि स्थिति नियंत्रण में है। अभी तक कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि हड़ताल को लेकर पूरे प्रदेश में विभाग ने अपनी पूरी तैयार की है। लगातार विशेष सतर्कता बरतने के साथ ही शक्ति भवन में स्थापित कंट्रोल रूम से 24 घंटे मानीटरिंग की जा रही है। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ अधिकारी विद्युत उपकेंद्रों का निरीक्षण कर रहे हैं। ऊर्जा मंत्री ने भी आज विधानसभा मार्ग स्थित कस्टमर केयर 1912 का आकस्मिक निरीक्षण किया। साथ ही वहां स्थापित 33/11 केवी उपकेंद्र का भी उन्होंने निरीक्षण किया।

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