अयोध्या की भूमि ने पुत्र का दान किया है: जगद्गुरु रामदिनेशाचार्य
- नन्दी ग्राम में जगतगुरू रामदिनेशाचार्य के मुखार बिंद से बही श्रीराम कथा की रस धार
अयोध्या। नन्दीग्राम भरत कुंड के प्राचीन श्रीराम जानकी मन्दिर प्रांगण में चल रही श्री राम कथा में कथा प्रवक्ता जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम दिनेशाचार्य जी महाराज ने श्री राम लला के बाल लीला की सुंदर कथा सुनाई । कथा महोत्सव का संचालन मंगल भवन पीठाधीश्वर महंत कृपालु राम भूषण दास ने किया। सोमवार को कथा मंच पर नाका हनुमानगढ़ी महन्त राम दास , सरयू आरती समिति के अध्यक्ष महंत शशिकांत दास, हनुमानगढ़ी महन्त बलराम दास अयोध्या के उपस्थित रहे। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम दिनेशाचार्य जी महाराज ने राम लला की बाल लीला को सुनाते हुए कहा कि भगवान की कृपा कब होंगी। यह कोई नहीं जानता है।
जगतगुरु रामदिनेशाचार्य ने कहा कि हमारी ऋषि परम्परा और गुरु परम्परा हैं। पितृ परम्परा नहीं है। जिसका अन्न नहीं मिलता हैं उसका म न नहीं मिल सकता। एक साथ भोजन से मनुष्य के मनोविकार खत्म होते है। हमारे रामानन्द सम्प्रदाय में अकेले में कोई भोजन नहीं करता। परिवार को साथ रखने का कार्य तुलसी कृत रामायण के द्वारा हो रहा है। भगवान राम अपने कृत्यों से अपने माता पिता को सुख प्राप्त कराते हैं।
जगतगुरु रामदिनेशाचार्य ने विश्वामित्र के विषय मे कहा कि विश्व का कोई मित्र हो सकता है तो वह संत ही हो सकता है। हम लोगो का ध्येय वाक्य है वसुधैव कुटुम्बकम । साधु का काम सुधार होता है संघार नहीं करता है। यहाँ मारने की आवश्यकता नहीं है यहाँ तो तारने की आवश्यकता है। जगतगुरु रामदिनेशाचार्य ने अँगुली माल की सुंदर कथा सुनाई। दान कई प्रकार से होता है। जहाँ पुत्र का दान किया, परमात्मा का दान किया वह अयोध्या की भूमि हैं । पुरुषार्थ से थकान आ सकती है। अपने बल औऱ पौरुष से थकान मिलती हैं। अगर कृपा मिल जाय तो थकान नहीं होती।