उत्तर प्रदेशलखनऊ

नवजात को नहीं मिला वेंटिलेटर, ट्रॉमा सेंटर में डेढ़ घंटे तक एम्बुलेंस में ही तड़पता रहा मासूम

लखनऊ। राजधानी के सरकारी अस्पतालों में संवेदनहीनता का ताजा मामला सामने आया है। बहराइच से नवजात की जान बचाने के लिए परिजन शुक्रवार को उसे लेकर राजधानी पहुंचे। यहां केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर से लेकर पीजीआई तक गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन कहीं वेंटिलेटर नहीं मिला। हताश परिजन देर रात मासूम को लेकर वापस बहराइच लौट गए।

बहराइच के रहने वाले सईद खान ने बताया कि गुरुवार को जिला अस्पताल में उसकी पत्नी हसबीन का सिजेरियन प्रसव हुआ था। प्रसव के कुछ देर बाद शिशु की सांसे उखड़ने लगी। उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया। लेकिन सेहत में सुधारने होने पर डॉक्टरों ने ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। परिजन एम्बुलेंस में एम्बुबैग के सहारे उसे लेकर शुक्रवार दोपहर 2:25 बजे ट्रॉमा पहुंचे। यहां परिजन उसे भर्ती कराने के लिए जद्दोजहद में जुट गए। इस बीच बेड खाली न होने के साथ ही वेंटिलेटर भी खाली न होने का हवाला देकर शिशु को अंदर लाने से ही मना कर दिया गया। भीषण गर्मी में शिशु एम्बुलेंस में ही रहा। उसकी सांसे न थमे इसके लिए परिजन एम्बुबैग से पंप करते रहे।

परिजनों द्वारा काफी मिन्नत के बाद शाम करीब चार बजे डॉक्टरों ने शिशु को पांचवे तल पर लाने की अनुमति दी। यहां डॉक्टरों ने परीक्षण के बाद वेंटिलेटर की जरूरत बताई। साथ ही यह भी कहा कि यहां के एनआईसीयू में वेंटिलेटर खाली नहीं है, लिहाजा किसी दूसरे अस्पताल ले जाएं। हताश परिजन मासूम को लेकर शहीदपथ स्थित लोहिया संस्थान के मातृ शिशु एवं रेफरल हॉस्पिटल पहुंचे। यहां भी वेंटिलेटर न होने का हवाला देकर लौटा दिया गया। इसके बाद परिजन उसे लेकर पीजीआई पहुंचे। जहां उसे भर्ती कराने को लेकर परिजनों की रात 10 बजे तक जद्दोजहद चलती रही। लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं कराया जा सका। हताश होकर परिजन मासूम को लेकर बहराइच लौट गए।

ट्रॉमा सेंटर का विस्तार करने के प्रयास किए जा रहे हैं। तभी कुछ राहत मिल सकती है। फिलहाल कोशिश की जाती है कि जितने संसाधन उपलब्ध है। उनके अनुसार अधिक से अधिक मरीजों को लाभ मिल सके।

डॉ. सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

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