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अमेठी उप जिलाधिकारी प्रीती तिवारी का यही अंदाज ही उनकी पहचान है।

एसडीएम अमेठी प्रीत तिवारी अपने कार्यों के चलते चर्चा का विषय बनी रहती है । वह पूरे दिन बैठकर जनसुनवाई करती हैं कोई भी फरियादी उनके पास आता है तो वह निराश होकर नहीं लौटता है । चाहे वह शाम 5:00 बजा हो अथवा 7:00 बजा लेकिन एसडीएम के कार्यालय तक पहुंच गया और मैडम बैठी हुई है तो निश्चित रूप से बिना उससे मिले वह जाएंगी। यही नहीं जब तक वह उसकी पूरी समस्या सुनकर उसका समाधान नहीं कर देती है तब तक वह अपनी सीट नहीं छोड़ती है। एसडीएम साहिबा के द्वारा अपने कार्यालय में धारा 151 के अभियुक्तों को एक ऐसा अनोखा दंड दिया गया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है और लोगों के चर्चा का विषय बना हुआ है। जी हां बताया जा रहा है कि 14 नवंबर को अमेठी तहसील के संग्रामपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत राहुल वर्मा पुत्र राजाराम वर्मा निवासी जोगापुर अमरपुर थाना संग्रामपुर, सिया राम पुत्र राम शुक्ला निवासी सोनारी कला थाना संग्रामपुर, सूर्यमणि पांडेय पुत्र स्वर्गीय हरिशंकर पांडेय निवासी साकरमाना पट्टी धोएं थाना संग्रामपुर तथा अमेठी कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत सराय राजशाह निवासी अमित पुत्र राम केदार, कड़ेरगांव निवासी कैलाश पुत्र मोतीलाल, परसावां निवासी राम अभिलाख पुत्र भगवत प्रसाद, राम सजीवन पुत्र जगदीश प्रसाद तथा जियालाल सिंह पुत्र भूरे निवासी सराय राजसाह थाना अमेठी के द्वारा कुल 8 लोगों का धारा 151 के तहत पाबंद करते हुए पुलिस ने उप जिला अधिकारी अमेठी प्रीती तिवारी के पास भेज दिया। शाम को सभी आठों अभियुक्तों को लेकर पुलिस एसडीएम कार्यालय पहुंचे । जहां पर मौजूद एसडीएम अमेठी ने सभी को अपने कार्यालय में बुलाकर बारी-बारी से सभी लोगों से काउंसलिंग किया। जिसके बाद उनको यह महसूस हुआ कि इन्होंने इतना बड़ा गंभीर अपराध नहीं किया है जिसको क्षमा नहीं किया जा सकता है । लेकिन ऐसे ही क्षमा कर देने पर इन लोगों का मनोबल और हौसला बढ़ जाएगा। इसलिए उन्होंने सभी आठों लोगों को मानवता एवं संवेदनाओं का पाठ पढ़ाते हुए भविष्य में ऐसा दोबारा ना करने के लिए नसीहत दी तथा सभी को अपना अपना कान पकड़ कर उठक बैठक करने के लिए निर्देशित किया। जिस पर सभी आठों अभियुक्तों ने एसडीएम कार्यालय में ही कान पकड़ कर उठक बैठक किया और अपनी गलती का एहसास करते हुए उप जिलाधिकारी महोदय से क्षमा मांगी तथा भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति ना करने के लिए भी कहा। जिस पर एसडीएम प्रीतती तिवारी ने सभी अभियुक्तों को जमानत पर छोड़ दिया। एसडीएम के इस आदेश को वहां पर मौजूद एक व्यक्ति के द्वारा चुपके से वीडियो बनाकर वायरल कर दिया गया। हालांकि वीडियो वायरल होने के बावजूद एसडीएम महोदय के द्वारा इस तरह के किए गए कार्य के लिए अमेठी तहसील क्षेत्र की जनता काफी सराहना कर रही है। लोगों का कहना है कि गंभीर मामलों में 14 दिन की न्यायिक हिरासत भेजना उचित होता है शेष हल्के-फुल्के मामलों में यदि ऐसे लोगों को 14 दिन के लिए जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया जाएगा तो निश्चित रूप से उनके अंदर आपराधिक प्रवृत्ति जन्म ले सकती है। जिसको ध्यान में रखकर उप जिलाधिकारी महोदया के द्वारा इस तरह से कार्य किया गया जो निःसंदेह काबिले तारीफ है। अधिकारियों को ऐसा होना चाहिए , कभी-कभी दंड व्यवस्था से हटकर भी जनहित के विषय में सोचना अधिकारियों की काबिलियत को दर्शाता है। विशेष रुप से नवयुवकों के कैरियर को ध्यान में रखकर ऐसे कदम उठाए जाने चाहिए जिससे उनका भविष्य बर्बाद होने से बच सके।

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