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देश के पूंजीगत निवेश का इंजन बन रहा उत्तर प्रदेश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह देश के विकास इंजन के तौर पर मजबूती से उभर रहा है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारत के कुल पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडीचर) में अकेले यूपी की हिस्सेदारी 16.3% रहने का अनुमान है, जो सभी राज्यों में सबसे अधिक है। यह लगातार दूसरा वर्ष होगा जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश पूंजी व्यय में टॉप पर रहेगा।

उल्लेखनीय है कि पूंजीगत व्यय का अर्थ उस धनराशि से है जो सरकारें स्थायी परिसंपत्तियों जैसे कि सड़कें और राजमार्ग, विद्यालय, अस्पताल आदि के निर्माण या अधिग्रहण पर खर्च करती हैं। सरल शब्दों में यह वह खर्च है जो सरकार भविष्य की सुविधा और विकास के लिए करती है जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना।

पांच राज्यों में 50% से अधिक पूंजीगत व्यय, यूपी सबसे आगे

बैंक आॅफ बड़ौदा की ओर से प्रस्तुत की गई हालिया रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2025-26 में देश के 26 राज्यों का कुल पूंजीगत व्यय 10.2 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष 8.7 लाख करोड़ था। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश (16.3%), गुजरात (9.4%), महाराष्ट्र (8.3%), मध्य प्रदेश (8.1%) और कर्नाटक (7.6%) ये पांच राज्य मिलकर देश के कुल पूंजीगत व्यय का 50% से अधिक हिस्सा खर्च करेंगे। इन आंकड़ों में सबसे ऊपर उत्तर प्रदेश का नाम आना इस बात का संकेत है कि राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास की रफ्तार तेज है। पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में भी यूपी ने सबसे अधिक 16.9% पूंजीगत व्यय किया था। इसके बाद महाराष्ट्र (10.9%), गुजरात (8.1%), मध्य प्रदेश (7.5%) और ओडिशा (6.4%) थे।

निवेशकों के लिए पहली पसंद बना यूपी

योगी सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों में की गई रणनीतिक योजना, निवेशक सम्मेलन, लॉजिस्टिक हब निर्माण, एक्सप्रेसवे और एयरपोर्ट्स का विस्तार जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स ने राज्य को पूंजीगत निवेश के मामले में देश का सिरमौर बना दिया है। यूपी इंडस्ट्रियल डिफेंस कॉरिडोर, इंटरनेशनल फिल्म सिटी, मेडिकल कॉलेजों का निर्माण और गंगा एक्सप्रेसवे जैसे मेगाप्रोजेक्ट्स भी इसके प्रमुख उदाहरण हैं। इज आॅफ डूइंग बिजनेस और कानून-व्यवस्था में सुधार के चलते यूपी घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए पहली पसंद बन गया है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के दौरान मिले भारी निवेश प्रस्ताव अब धरातल पर उतर रहे हैं, जिससे राज्य का कैपिटल एक्सपेंडिचर भी बढ़ा है और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं। यही नहीं, केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त कोशिशों से यूपी को बजट आवंटन, परियोजनाओं की मंजूरी और वित्तीय सहायता में बड़ी बढ़त मिली है। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और नगरीय विकास जैसे क्षेत्रों में पूंजीगत व्यय को उल्लेखनीय बढ़ावा मिला है।

राजस्व में भी यूपी की बादशाहत

रिपोर्ट के अनुसार 2025-26 में कुल 26 राज्यों की प्राप्तियां 10.6% बढ़कर 69.4 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। इसमें राजस्व प्राप्तियां 12.3% और पूंजीगत प्राप्तियां 6.6% बढ़ने की संभावना है। उत्तर प्रदेश यहां भी सबसे आगे रहेगा, जो अकेले 13.3% राजस्व का योगदान देगा। इसके बाद महाराष्ट्र (11.3%), मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान (5.9% प्रत्येक) रहेंगे। उत्तर प्रदेश की यह उपलब्धि केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दशार्ती है कि योगी सरकार विकास की नई परिभाषा गढ़ रही है। अगर यही रफ्तार बनी रही, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप निकट भविष्य में उत्तर प्रदेश भारत के ग्रोथ इंजन के साथ-साथ आर्थिक राजधानी के रूप में उभर सकता है।

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