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प्रदेश भर में 3,235 दीर्घ व लघु सेतुओं का निर्माण व विकास करेगी योगी सरकार

  • उत्तर प्रदेश में उत्तम कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करने के लिए सीएम योगी के निर्देशों को धरातल पर उतारने की तैयारी
  • 28,346 करोड़ रुपए खर्च कर प्रदेश में सेतुओं का जाल बिछाने पर फोकस, लोकनिर्माण विभाग ने वर्ष 2025-26 का खाका किया तैयार
  • कार्ययोजना के अनुसार उ.प्र राज्य सेतु निगम लिमिटेड करेगा 60 मीटर से अधिक लम्बाई के दीर्घ सेतुओं का निर्माण
  • लोक निर्माण विभाग करेगा 6 मीटर से 60 मीटर तक की लंबाई वाले लघु सेतुओं का निर्माण, संकरे व अस्थायी पुलों की मरम्मत व नवनिर्माण पर भी फोकस

लखनऊ। उत्तर प्रदेश को उत्तम कनेक्टिविटी युक्त प्रदेश के तौर पर स्थापित कर रही योगी सरकार प्रदेश में बड़े स्तर पर दीर्घ व लघु सेतुओं के निर्माण पर फोकस कर रही है। प्रदेश के सभी शहरों, तहसीलों, जिलों, ब्लॉक व ग्राम की उत्तम कनेक्टिविटी सुनिश्चित हो सके, इसके लिए सीएम योगी का स्पष्ट निर्देश है। ऐसे में, सीएम योगी के निर्देशों को धरातल पर उतारने के लिए लोकनिर्माण विभाग ने वर्ष 2025-26 के लिए बड़ा लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना भी तैयार की गई है जिस पर काम शुरू हो गया है। कार्ययोजना के अनुसार, प्रदेश में 28,346 करोड़ रुपए खर्च कर 3,235 दीर्घ व लघु सेतुओं का निर्माण व विकास प्रस्तावित है।

उ.प्र राज्य सेतु निगम लिमिटेड 60 मीटर से अधिक लम्बाई के दीर्घ सेतुओं का निर्माण किया जाना कार्ययोजना के अंतर्गत प्रस्तावित है, जबकि लोक निर्माण विभाग द्वारा 6 मीटर से 60 मीटर तक की लंबाई वाले लघु सेतुओं का निर्माण किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, रोड सेफ्टी को बढ़ाने के लिए ब्लैक स्पॉट को चिह्नित कर उसकी मरम्मत तथा संकरे व अस्थायी पुलों की मरम्मत व निर्माण पर भी फोकस किया जा रहा है जिससे प्रदेश में सेतुओं का जाल बिछाने का मार्ग प्रशस्त होगा।

3 योजनाओं के अंतर्गत दीर्घ व लघु सेतुओं का होगा निर्माण

प्रदेश में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए लोकनिर्माण विभाग द्वारा तैयार की गई वार्षिक कार्ययोजना 2025-26 के अनुसार जिन दीर्घ व लघु सेतुओं का निर्माण होना है उसमें मुख्यतः तीन योजनाओं का समावेश होगा। इसमें राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राज्य योजना (ग्रामीण) तथा राज्य योजना (शहरी) प्रमुख हैं। इन तीनों योजनाओं के जरिए प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में दीर्घ व लघु सेतुओं के निर्माण के साथ ही कच्चे व लकड़ी के पुल तथा जीर्ण-शीर्ष अवस्था वाले पुलों का नवनिर्माण व विकास सुनिश्चित होगा।

इसमें विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों में स्थायी पुलों के निर्माण पर विशेष रूप से फोकस किया जा रहा है जहां पुल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं या फिर ग्रामीण मार्गों पर जनता द्वारा अस्थायी पुलों का निर्माण किया गया है। इसी प्रकार, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मार्ग क्षतिग्रस्त होने के कारण सेतुओं के निर्माण को वरीयता के आधार पर निर्मित किया जाएगा जिससे मार्गों की सुरक्षा के साथ ही यातायात के लिए स्थायी समाधान उपलब्ध हो सकेगा।

अधिक आबादी को लाभान्वित करने के लिए नवनिर्माण व विकास कार्यों पर जोर

लोकनिर्माण विभाग द्वारा तैयार की गई कार्ययोजना के अनुसार वर्ष 2025-26 में जिन 3,235 दीर्घ व लघु सेतुओं के निर्माण, नवनिर्माण, सुदृढ़ीकरण व विकास किया जाना है उनमें अधिक आबादी को लाभान्वित करने के लिए विशेष तौर पर वरीयता के आधार पर चिह्नित किया जाएगा। यहां आवागमन की दूरी को घटाने और यातायात के उचित प्रबंधन के लिए जन प्रतिनिधियों के प्रस्ताव पर 10 किमी के मानक में शिथिलता दी जा सकती है। इसी प्रकार, ग्रामीण क्षेत्रों के सार्वजनिक, धार्मिक या पर्यटन महत्व वाले स्थलों पर 10 किमी की शर्त लागू नहीं की जाएगी।

वहीं, कार्ययोजना के अनुसार राज्य मार्ग व प्रमुख जिला मार्गों पर ऐसे सेतु जिनकी चौड़ाई मार्ग से कम है तथा अन्य जिला मार्ग पर स्थित ऐसे ब्लैक स्पॉट्स जहां पर सेतुओं की चौड़ाई मार्ग की अपेक्षा कम है, उन पर विशेष रूप से फोकस किया जाएगा। यहां चौड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण के साथ ही आवश्यक्तानुसार नवीनीकरण व नवनिर्माण की प्रक्रिया को भी पूरा किया जाएगा।

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