
गोरखपुर। माह-ए-रमज़ान के दूसरे अशरे में रोजेदार सुबह से ही इबादत व क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत शुरु कर रहे हैं। जिसका सिलसिला देर रात तक जारी रह रहा है। फर्ज, वाजिब व सुन्नत नमाजों के अलावा तहज्जुद, इशराक, चाश्त, अव्वाबीन, सलातुल तस्बीह आदि नमाजें भी खूब पढ़ी जा रही हैं। सभी के सिरों पर टोपी व हाथों में तस्बीह नज़र आ रही है। मिस्वाक, खजूर व इत्र का खूब इस्तेमाल हो रहा है। रोजेदार दिन में रोजा रखकर व रात में तरावीह की नमाज पढ़कर अल्लाह का फरमान पूरा कर रहे हैं। अल्लाह का फरमान पूरा करने के बदले में रोजेदारों को ईद का ईनाम मिलेगा। शनिवार को 16वां रोजा अल्लाह की हम्दो सना में बीता। करीब चौदह घंटे का लंबा रोजा व तेज धूप में रोजेदारों का इम्तिहान हो रहा है।
बेलाल मस्जिद इमामबाड़ा अलहदादपुर के इमाम कारी शराफत हुसैन कादरी ने बताया कि रमज़ान के महीना हममें इतना तक़वा (परहेजगारी) पैदा कर सकता है कि सिर्फ रमज़ान ही में नहीं बल्कि उसके बाद भी ग्यारह महीनों की ज़िन्दगी भी सही राह पर चल सके। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का मशहूर फरमान है कि जिसने ईमान के साथ सवाब की नियत से यानी खालिस अल्लाह की खुशनूदी हासिल करने के लिए रोज़ा रखा उसके पिछले तमाम गुनाह माफ फरमा दिए जाते हैं।
मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर के शिक्षक कारी मो. अनस रज़वी ने बताया कि जिसने ईमान के साथ सवाब की नियत से यानी रिया, शोहरत और दिखावे के लिए नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की खुशनूदी के लिए रात में इबादत के लिए खड़ा हुआ यानी नमाज़े तरावीह और तहज्जुद पढ़ी तो उसके पिछले तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। एक और हदीस में है कि जो शख्स शबे कद्र (21, 23, 25, 27, 29 रमज़ान की रात) में ईमान के साथ और सवाब की नियत से इबादत के लिए खड़ा हुआ यानी नमाज़े तरावीह और तहज्जुद पढ़ी, क़ुरआन की तिलावत की और अल्लाह का ज़िक्र किया तो उसके पिछले तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।