सीमा प्रबंधन सचिव और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य सोमवार को उत्तराखंड का दौरा करेंगे और स्थिति का जायजा लेंगे। पीएमओ ने बताया कि एनडीएमए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों की एक टीम स्थितियों का अध्ययन करेगी और सिफारिशें देगी। बयान में कहा गया है कि उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने बैठक के दौरान पीएमओ को जमीनी स्थिति की जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार की एजेंसियां और विशेषज्ञ जोशीमठ की स्थिति से निपटने के लिए लघु, मध्यम और दीर्घकालीन योजनाएं तैयार करने में उत्तराखंड सरकार की मदद कर रहे हैं। मिश्रा ने बताया कि स्थिति और खराब होने से रोकने के लिए तत्काल प्रयास किए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि विभिन्न केंद्रीय संस्थानों- एनडीएमए, एनआईडीएम, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों को उत्तराखंड के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक स्पष्ट समयबद्ध पुनर्निर्माण योजना तैयार की जानी चाहिए और निरंतर निगरानी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जोशीमठ के लिए जोखिम के प्रति संवेदनशील शहरी विकास योजना भी विकसित की जानी चाहिए। समीक्षा बैठक में कैबिनेट सचिव, केंद्र सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के अलावा उत्तराखंड के मुख्य सचिव और राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भाग लिया। बैठक में जोशीमठ जिला के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। आईआईटी रुड़की, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के विशेषज्ञों ने भी इसमें भाग लिया। धामी ने लगभग 600 प्रभावित परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का निर्देश देने के एक दिन बाद जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए शनिवार को जोशीमठ का दौरा किया था।
धामी ने कहा था कि जोशीमठ संस्कृति, धर्म और पर्यटन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है और इसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने राहत और बचाव प्रयासों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि शहर के भीतर विभिन्न स्थानों पर 229 कमरों की पहचान की गई है जिनमें 1,271 लोगों को ठहराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इनमें से 46 परिवारों को आवश्यक घरेलू सामान खरीदने के लिए 5000 रुपये प्रति परिवार की दर से 2.30 लाख रुपये की अनुग्रह राशि के अलावा राशन किट वितरित की गई है। खुराना ने घर-घर जाकर क्षतिग्रस्त घरों में रहने वाले लोगों से उन्हें खाली करने और अस्थायी राहत केंद्रों में जाने का अनुरोध किया। उत्तराखंड के मुख्य सचिव संधू ने जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए रविवार को जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। मुख्य सचिव ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में आपको कोई जोखिम नहीं उठाना चाहिए। निवासियों की सुरक्षा तात्कालिक प्राथमिकता है और यह सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन लगातार काम कर रहा है।’’ उन्होंने कहा कि भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ भूमि धंसने के कारणों का पता लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सिफारिशों के आधार पर जोशीमठ में जरूरी उपाय किये जायेंगे।