उत्तराखंड

सुरंग हादसे का आज 14 वां दिन, लोहे का सरिया आने से बचाव अभियान फिर बाधित

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसमें फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर चलाए जा रहे बचाव अभियान का आज 14 वां दिन है।

12 नवंबर को दीवाली वाले दिन सुबह करीब साढ़े पांच बजे निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था। जिसके कारण उसमें 41 श्रमिक फंस गए थे।

उत्तरकाशी जिला प्रशासन द्वारा बचाव कार्य शुरू किया गया और कंप्रेशर से दबाव बनाकर पाइप के जरिए फंसे श्रमिकों के लिए आक्सीजन, बिजली और खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गई।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), उत्तराखंड राज्य आपदा प्रतिवादन बल, सीमा सड़क संगठन (BRO) और परियोजना का निर्माण करने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम (NHIDCL) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस(ITBP) समेत विभिन्न एजेंसियां बचाव अभियान में शामिल हुईं।

13 नवंबर को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए पाइप के जरिए सुरंग में फंसे श्रमिकों से संपर्क स्थापित हुआ। बचाव कार्यों के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौके पर पहुंचे थे।

13 नवंबर को सुरंग के ढहे हिस्से में जमा मलबे को हटाने में कोई खास प्रगति नहीं हुई थी, जबकि ऊपर से भूस्खलन जारी रहने से बचाव कार्य मुश्किल हो गया था। परिणामस्वरूप 30 मीटर क्षेत्र में जमा मलबा 60 मीटर तक फैल गया।

ढीले मलबे को ‘शाटक्रीटिंग’ की मदद से मजबूत करने और उसके बाद ड्रिलिंग कर उसमें बड़े व्यास की स्टील पाइपलाइन डालकर श्रमिकों को बाहर निकालने की रणनीति बनाई गयी।

14 नवंबर को शुरू हुआ था बचाव अभियान

14 नवंबर को ऑगर मशीन की सहायता से मलबे में क्षैतिज ड्रिलिंग कर उसमें डालने के लिए 800 और 900 मिमी व्यास की पाइप मौके पर लाई गई। हालांकि, सुरंग में मलबा गिरने और उसमें मामूली रूप से 2 बचावकर्मियों के घायल होने के कारण बचाव कार्यों में बाधा आई।

विशेषज्ञों की एक टीम ने सुरंग और उसके आसपास की मिटटी की जांच के लिए सर्वेंक्षण शुरू किया। सुरंग में फंसे लोगों के लिए खाना, पानी, आक्सीजन और बिजली की आपूर्ति की गई। सुरंग में कुछ लोगों ने उल्टी की शिकायत की जिसके बाद उन्हें दवाइयां भी उपलब्ध कराई गयीं।

15 नवंबर को पहली ड्रिलिंग मशीन के प्रदर्शन से असंतुष्ट NHIDCL ने बचाव कार्य तेज करने के लिए दिल्ली से अत्याधुनिक अमेरिकी ऑगर मशीन मंगाई।

16 नवंबर को उच्च क्षमता वाली अमेरिकी ऑगर मशीन जोड़कर सुरंग में स्थापित की गयी। मशीन ने मध्यरात्रि के बाद काम शुरू किया।

17 नवंबर को रात भर काम करने के बाद मशीन ने 22 मीटर तक ड्रिल कर 4 स्टील पाइप डाले। 5वें पाइप को डाले जाने के दौरान मशीन के किसी चीज से टकराने से जोर की आवाज आई, जिसके बाद ड्रिलिंग का काम रोका गया।

मशीन को भी नुकसान हुआ। इसके बाद, बचाव कार्यों में सहायता के लिए उच्च क्षमता की एक और ऑगर मशीन इंदौर से मंगाई गयी।

नितिन गडकरी ने की बचाव अभियान की समीक्षा

18 नवंबर को सुरंग में भारी मशीन से कंपन को देखते हुए मलबा गिरने की आशंका के चलते ड्रिलिंग शुरू नहीं हो पाई। प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों की टीम और विशेषज्ञों ने 5 योजनाओं पर एक साथ काम करने का निर्णय लिया।

जिनमें सुरंग के उपर से क्षैतिज ड्रिलिंग कर श्रमिकों तक पहुंचने का विकल्प भी शामिल था।

19 नवंबर को ड्रिलिंग रूकी रही, जबकि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बचाव अभियान की समीक्षा की और कहा कि ऑगर मशीन के जरिए क्षैतिज ड्रिलिंग कर श्रमिकों तक पहुंचने का सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। उन्होंने दो से ढ़ाई दिनों में सफलता मिलने की उम्मीद जताई।

20 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फोन पर मुख्यमंत्री धामी से बातकर सुरंग में चल रहे बचाव कार्यों का जायजा लिया और श्रमिकों का मनोबल ऊंचा बनाए रखने पर जोर दिया।

बचावकर्मियों ने मलबे में ड्रिलिंग कर 6 इंच व्यास की पाइपलाइन डाली जिससे सुरंग में फंसे श्रमिकों को ज्यादा मात्रा में खाना, कपड़े तथा अन्य जरूरी चीजों की आपूर्ति करने में मदद मिली। हालांकि, ऑगर मशीन के सामने बोल्डर आने से रूकी ड्रिलिंग शुरू नहीं हो पायी।

श्रमिकों का वीडियो आया सामने

21 नवंबर को बचावकर्मियों ने सुरंग में फंसे श्रमिकों के सकुशल होने का पहला वीडियो जारी किया। सफेद और पीला हेल्मेट पहने श्रमिक पाइप के जरिए भोजन प्राप्त करते और एक दूसरे से बातचीत करते दिखाई दिए।

सिलक्यारा सुरंग के बड़कोट छोर पर दो विस्फोट कर दूसरी ओर से ड्रिलिंग की शुरूआत की गयी। हालांकि, विशेषज्ञों ने बताया कि इस वैकल्पिक तरीके से श्रमिकों तक पहुंचने में 40 दिन लगने की संभावना है। एनएचआइडीसीएल ने ऑगर मशीन से सिलक्यारा छोर से फिर क्षैतिज ड्रिलिंग शुरू की।

22 नवंबर को 800 मिमी के व्यास की स्टील पाइपलाइन मलबे में 45 मीटर अंदर तक पहुंची और कुल 57 मीटर मलबे में से 12 मीटर को भेदा जाना शेष रह गया। सुरंग के बाहर एंबुलेंस को खड़ा किया गया।

इसके अलावा, घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का विशेष वार्ड बनाया गया। देर रात लोहे के सरिए और गर्डर सामने आने से ड्रिलिंग में फिर अवरोध आया।

23 नवंबर को अड़चन आने से बचाव अभियान में 6 घंटे की देरी हुई। बाधा को दूर करने के बाद ड्रिलिंग फिर शुरू हुई। राज्य सरकार के नोडल अधिकारी ने बताया कि बुधवार को आई रूकावट के बाद ड्रिलिंग में 1.8 मीटर की प्रगति हुई। ऑगर मशीन के नीचे बने प्लेटफॉर्म में दरारें आने से ड्रिलिंग फिर रूकी।

24 नवंबर को बाधाओं को दूर कर 25 टन वजनी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग फिर शुरू हुई। लेकिन कुछ देर बाद फिर लोहे का सरिया सामने आने से ड्रिलिंग रूक गयी।

Zee NewsTimes

Founded in 2018, Zee News Times has quickly emerged as a leading news source based in Lucknow, Uttar Pradesh. Our mission is to inspire, educate, and outfit our readers for a lifetime of adventure and stewardship, reflecting our commitment to providing comprehensive and reliable news coverage.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button