भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध: स्थिर और समृद्ध क्षेत्र की ओर

भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों ने हाल के वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति की है। दोनों देश न केवल आर्थिक और सामरिक क्षेत्रों में एक-दूसरे के प्रमुख साझेदार बनते जा रहे हैं, बल्कि वैश्विक अस्थिरता के इस दौर में मिलकर एक स्थिर और समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के निर्माण के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। चीन की बढ़ती सक्रियता, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों के बीच यह सहयोग नई दिशा और गहराई प्राप्त कर रहा है। यह साझेदारी न सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करती है, बल्कि एक न्यायसंगत और संतुलित वैश्विक व्यवस्था की ओर भी इशारा करती है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सामरिक साझेदारी सिर्फ रक्षा और सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा, नवाचार, खनिज संसाधनों, साइबर सुरक्षा और जलवायु नीति जैसे क्षेत्रों तक विस्तारित हो चुकी है। दोनों देश लोकतांत्रिक मूल्यों, नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था और मानवाधिकारों के प्रति अपनी समान प्रतिबद्धता को साझा करते हैं, जो इन्हें एक प्राकृतिक साझेदार बनाता है।
कोविड-19 महामारी के बाद उत्पन्न वैश्विक आर्थिक चुनौतियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि क्षेत्रीय सहयोग अब केवल विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता बन गया है। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने क्वाड (QUAD) जैसे बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से तकनीकी सहयोग, वैक्सीन वितरण और आपदा प्रबंधन जैसे विषयों पर मिलकर कार्य किया है, जो एक स्थिर और जवाबदेह क्षेत्र की नींव रखता है।
भू-राजनीतिक तनावों, विशेष रूप से चीन की आक्रामक विदेश नीति, रूस-यूक्रेन युद्ध, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के चलते विश्व एक अनिश्चित दौर से गुजर रहा है। ऐसे में भारत और ऑस्ट्रेलिया का सहयोग विश्व के लिए एक सकारात्मक संदेश है कि लोकतांत्रिक देशों के बीच सहयोग से स्थायित्व, विकास और शांति सुनिश्चित की जा सकती है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में हालिया प्रगति जैसे व्यापक आर्थिक समझौते (ECTA), उच्च स्तरीय राजनीतिक संवाद और संयुक्त सैन्य अभ्यास ने यह सिद्ध कर दिया है कि दोनों देश दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी की दिशा में अग्रसर हैं। यह न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन और सुरक्षा को भी सशक्त करेगा।