
डोनाल्ड ट्रंप का 2020 में WHO से बाहर जाने का निर्णय न केवल अमेरिका के लिए, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य संगठन के लिए भी एक बड़ा झटका था। ट्रंप ने इसे चीन के पक्ष में झुकाव और वैश्विक स्वास्थ्य संकट के मामलों में संगठन की निष्क्रियता से जोड़ा था। उनका मानना था कि WHO ने कोविड-19 महामारी के शुरुआती दौर में सही जानकारी देने में विफलता दिखाई और इसने चीन को बचाने की कोशिश की, जो अंततः पूरी दुनिया के लिए खतरनाक साबित हुआ। इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका ने WHO के वित्तीय योगदान को भी रोक दिया था, जिससे संगठन को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा।
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हालांकि, जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने WHO के साथ अपनी सदस्यता पुनः स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन ट्रंप अभी भी इस फैसले पर कायम हैं। उनका कहना है कि WHO को सुधारने की बजाय, अमेरिका को अपनी स्वतंत्र स्वास्थ्य नीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ट्रंप के समर्थक इस निर्णय को सही ठहराते हैं, जबकि उनके आलोचक इसे वैश्विक सहयोग की कमी और अमेरिका की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाने वाला मानते हैं। ट्रंप का यह कदम वैश्विक स्वास्थ्य नीति में एक बड़ा मोड़ था और इससे WHO के कामकाज पर भी असर पड़ा है, क्योंकि अमेरिका जैसा प्रमुख सदस्य संगठन के निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।