डिजिटल सर्विस सेक्टर में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक

विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation-WTO) ने नवीनतम वैश्विक व्यापार आउटलुक और सांख्यिकी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत ने डिजिटल रूप से वितरित सेवाओं के एक्सपोर्ट में 17 फीसदी की छलांग लगाकर 257 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की। इसके बाद भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया।

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत की विकास दर चीन और जर्मनी द्वारा दर्ज की गई 4 प्रतिशत की वृद्धि से कहीं अधिक थी।

किस सेक्टर में कितनी हुई वृद्धि
डब्ल्यूटीओ के अनुमान के अनुसार डिजिटल रूप से वितरित सेवाओं का वैश्विक निर्यात 2023 में बढ़कर 4.25 ट्रिलियन डॉलर हो गया। यह साल-दर-साल 9 फीसदी अधिक है, जो वस्तुओं और सेवाओं के विश्व निर्यात का 13.8 प्रतिशत है।

2023 में वैश्विक स्तर पर वस्तुओं के व्यापार के सभी सेक्टर में गिरावट आई, वहीं, डिजिटल रूप से वितरित सर्विस का निर्यात बढ़ता रहा।

रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप और एशिया में (जो क्रमशः 52.4 प्रतिशत और 23.8 प्रतिशत की वैश्विक हिस्सेदारी रखते हैं) निर्यात में 11 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2023 में व्यापार, प्रोफेशनल और तकनीकी सर्विस का योगदान 41.2 प्रतिशत था।

डिजिटल रूप से वितरित सेवाओं के विश्व निर्यात में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसके बाद कंप्यूटर सर्विस (20.5 प्रतिशत), फाइनेंस सर्विस (16 प्रतिशत), प्रॉपर्टी रिलेटेड सर्विस (10.9 प्रतिशत), बीमा और पेंशन सेवाएं (5.2 प्रतिशत), टेलीकॉम (2.6 प्रतिशत) ऑडियो-वीडियो और अन्य पर्सनल, सांस्कृतिक और मनोरंजन सेवाएं (2.1 प्रतिशत), और सूचना सेवाएँ (1.5 प्रतिशत) हैं।

रिपोर्ट के अनुसार ये टेक्नोलॉजी अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं में क्रांति लाने के लिए तैयार हैं। इससे दक्षता, नवाचार, लागत बचत, वैयक्तिकरण के अवसर, नई नौकरियों का निर्माण और आर्थिक विकास में वृद्धि होगी।

इसके बाद डिजिटल रूप से वितरित सेवाओं में व्यापार को और बढ़ावा मिलेगा। कंटेंट बनाना जैसे टैक्सट, चित्र, संगीत या यहां तक कि वीडियो जैसी बनाने में एआई (Artificial Intelligence-AI) का उपयोग 2023 में तेजी से बढ़ा।

डब्ल्यूटीओ को उम्मीद है कि विश्व व्यापारिक व्यापार 2023 में 1.2 प्रतिशत गिरने के बाद 2024 में 2.6 प्रतिशत और 2025 में 3.3 प्रतिशत बढ़ जाएगी। हालांकि, क्षेत्रीय संघर्ष, भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक नीति अनिश्चितता पूर्वानुमान के लिए पर्याप्त नकारात्मक जोखिम पैदा करते हैं।

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