रामनगर की रामलीला के सातवें दिन बुधवार को बारिश की वजह से रोकी गई छठवीं दिन की लीला हुई। लीला प्रसंग के मुताबिक राजा जनक बरात का आतिथ्य सत्कार करते हैं और जनवासे में ठहराते हैं।
पूरी जनकपुरी प्रभु श्रीराम और सीता के मिलन का साक्षी बनने को व्यग्र थी। मिलन की घड़ी आई तो लोग ही नहीं पूरा देवलोक हर्षित था। लोग अपलक श्रीराम और सीता के रूप को निहारते रहे। हर ओर से उन पर पुष्पवर्षा हो रही थी।
रामनगर की रामलीला के सातवें दिन बुधवार को बारिश की वजह से रोकी गई छठवीं दिन की लीला हुई। लीला प्रसंग के मुताबिक राजा जनक बरात का आतिथ्य सत्कार करते हैं और जनवासे में ठहराते हैं। चारों भाई दूल्हा बनकर घोड़े पर सवार हो कर जनकपुरी पहुंचते हैं। विवाह का मुहूर्त होने पर जनक अपने दूत को भेजकर राजा दशरथ को विवाह मंडप में बुलवाते हैं। गुरु वशिष्ठ के साथ सभी विवाह मंडप में गए। देवगण श्रीराम के जय जयकार करते हैं। विधि विधान से श्रीराम सीता का विवाह होता है। वशिष्ठ की आज्ञा से मांडवी, उर्मिला और श्रुतकीर्ति नामक कुंवारियों को मंडप में बुलाया गया। उनका भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के साथ विवाह हुआ। सखियां दूल्हा-दुल्हन को कोहबर में ले जाती हैं। वहां राम की आरती उतारती हैं। अंत में वर को जनवासे में भेज दिया जाता है और आरती के साथ लीला को विश्राम दिया जाता है।
खिचड़ी की रस्म में गारी सुने बराती
जाल्हूपुर के टूड़ी नगर की रामलीला में बुधवार को खिचड़ी की रस्म की लीला हुई। महाराज दशरथ युवराजों व बरातियों के साथ भोजन के लिए बैठते हैं। महिलाएं पारंपरिक गारी, गीत व विवाह का मंगल गीत गाते हुए आनंदित होती हैं। राजा जनक लाखों गाय, हाथी और घोड़े के साथ दहेज का पूरा सामान देकर उन्हें बिदा करते हैं। अयोध्या पहुंचने पर राजमहल के द्वार पर राजमाताओं संग महिलाएं रीति रिवाज बहुओं का स्वागत करती हैं। उधर, शिवपुर रामलीला में बुधवार को धनुष यज्ञ और लक्ष्मण-परशुराम संवाद की लीला हुई।