वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के तहखाना प्रकरण में आया कोर्ट का आदेश

ज्ञानवापी स्थित व्यासजी का तहखाने को लेकर शैलेंद्र कुमार पाठक ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दाखिल किया था। इसकी सुनवाई के लिए जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। इस आवेदन को जिला जज ने मंजूर कर लिया है। 

वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी का तहखाना जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में देने के वाद में दिए गए स्थानांतरण आवेदन जिला जज की अदालत से बुधवार को आदेश आ गया। जिला जज ने आवेदन को मंजूर कर लिया है। अब इस मामले की सुनवाई जिला जज की अदालत में होगी। यह वाद शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास की तरफ से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सुभाष नंदन चतुर्वेदी व सुधीर त्रिपाठी के जरिये सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दाखिल किया गया था।

ज्ञानवापी से जुड़े अन्य मामले जिला जज की अदालत में चल रहे है। इस वजह से इस वाद को जिला जज की ही अदालत में स्थानांतरित किए जाने का अनुरोध किया गया था। इसे लेकर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट ने स्थानांतरण आवेदन में मूल वाद की संख्या और वर्ष का उल्लेख नहीं किए जाने पर उसे अपूर्ण और त्रुटिपूर्ण बताते हुए खारिज किए जाने का अनुरोध अदालत से किया था।

वादी ने कहा था-  मसाजिद कमेटी तहखाने पर कब्जा कर लेगी

शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने बीते 25 सितंबर को वाद दाखिल किया था। इसके जरिए व्यासजी के तहखाने पर कब्जे की आशंका जताई थी। कहा था कि व्यासजी का तहखाना वर्षों से उनके परिवार के कब्जे में रहा है। वर्ष 1993 के पहले से पूजा-पाठ और राग-भोग होता चला आ रहा था। 1993 के बाद उस तहखाने को प्रदेश सरकार के आदेश से घेर दिया गया। साथ ही पूजा-पाठ से वंचित कर दिया गया।

वर्तमान में नंदीजी के सामने स्थित व्यासजी के तहखाने का दरवाजा खुला है। उस जगह वादी और उनके परिवार को जाने से रोका जाता है। आशंका है कि अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी तहखाने पर कब्जा कर लेगी।  

ज्ञानवापी में मां श्रृंगार गौरी मुकदमे के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि व्यास परिवार की ओर से शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दाखिल किया था। इसकी सुनवाई के लिए जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। जिला जज की अदालत ने आवेदन को मंजूर कर लिया।

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