कांग्रेस को समाजवादी पार्टी का साथ लेने से उसे लाभ होगा या नुकसान, इस पर पार्टी नेताओं की राय बंटी हुई है। ज्यादातर नेता मानते हैं कि समाजवादी पार्टी की जिस तरह नकारात्मक छवि बनी हुई है, उसे देखते हुए कांग्रेस को उसके साथ गठबंधन में नहीं जाना चाहिए।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन होने की संभावनाओं पर बड़ा पेंच फंस सकता है। मध्य प्रदेश में दोनों दलों के बीच कोई गठबंधन न होने से समाजवादी पार्टी नाराज है और उसके नेता अखिलेश यादव ने साफ कह दिया है कि कांग्रेस नेतृत्व को यह तय करना है कि इंडिया गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर होगा, या प्रदेश के स्तर पर। उन्होंने कहा कि यदि मध्य प्रदेश में कांग्रेस समाजवादी पार्टी के लिए कोई सीट नहीं छोड़ती है तो उसे लोकसभा चुनावों में यूपी में गठबंधन की बात भूल जानी चाहिए। यानी लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच गठबंधन पर ग्रहण लग गया है।
वहीं, कांग्रेस नेता भी समाजवादी पार्टी के सामने झुकना नहीं चाहते। पार्टी के नेताओं का मानना है कि कर्नाटक-हिमाचल प्रदेश में मिली जीत के बाद कांग्रेस इस समय मजबूत स्थिति में है। इस समय चल रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कम से कम चार राज्यों में उसकी सरकार बन सकती है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इन चुनावों के बाद पार्टी की स्थिति राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होगी और राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने मजबूत नेता के तौर पर उभर सकते हैं। पार्टी को इसका सीधा लाभ लोकसभा चुनावों में हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस नेताओं का अनुमान है कि पार्टी को एक बार फिर मजबूती से खड़ा करने के लिए यह बिल्कुल सही समय है और उसे अपने दम पर आगे बढ़ना चाहिए।
सपा को साथ लेने से लाभ या नुकसान?
कांग्रेस को समाजवादी पार्टी का साथ लेने से उसे लाभ होगा या नुकसान, इस पर पार्टी नेताओं की राय बंटी हुई है। ज्यादातर नेता मानते हैं कि समाजवादी पार्टी की जिस तरह नकारात्मक छवि बनी हुई है, उसे देखते हुए कांग्रेस को उसके साथ गठबंधन में नहीं जाना चाहिए।
कांग्रेस के एक नेता ने अमर उजाला से कहा कि इसके पहले भी पार्टी ने समाजवादी पार्टी से यूपी विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया था। परिणाम हुआ कि पार्टी केवल सात सीटों पर सिमट गई। समाजवादी पार्टी का नकारात्मक प्रदर्शन और आपराधिक छवि के नेताओं के साथ दिखने का समाजवादी पार्टी का बोझ कांग्रेस पर भारी पड़ा। इन नेताओं का मानना है कि यदि पार्टी अपने दम पर लड़ी होती तो वह ज्यादा बेहतर कर सकती थी।
मुसलमान अब सपा के साथ नहीं
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विकल्प को सत्ता में लाने के लिए मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर समाजवादी पार्टी का साथ दिया। लेकिन इसके बाद भी सपा भाजपा को टक्कर देने में असफल रही। इसका कारण यही रहा कि भाजपा ने समाजवादी पार्टी के शासन में हुई आपराधिक घटनाओं को मुद्दा बनाया और जनता को सुरक्षा देने का वादा किया। यह मुद्दा चल गया और समाजवादी पार्टी समाज के बड़े हिस्से के समर्थन के बाद भी कोई कमाल नहीं कर सकी। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि सपा अभी अपनी उस छवि से बाहर नहीं निकल पाई है और उसके साथ गठबंधन में जाने से नुकसान होगा।
2022 में भाजपा के सामने एक विकल्प के लिए मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी का साथ दिया था। लेकिन उन्होंने पाया कि इसके बाद भी सपा भाजपा को रोक पाने में असफल रही। इस कारण उनमें सपा को लेकर संदेह बढ़ा है। दूसरी ओर, लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और राहुल गांधी ने भाजपा से लड़ने में अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता ज्यादा मजबूती के साथ साबित किया है। यही कारण है कि कर्नाटक से चली हवा आगे बढ़ रही है और माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में मुसलमान मतदाता कांग्रेस के साथ पूरी तरह एकजुट हो सकता है। पार्टी नेताओं का मानना है कि उन्हें इस अवसर का लाभ उठाकर देश के सबसे बड़े सूबे में अपने आपको मजबूत करने की कोशिश करनी चाहिए। यदि यूपी में दोनों दलों के बीच समझौता होता भी है तो उसे ज्यादा सीटों की दावेदारी करनी चाहिए और सपा के सामने झुककर अपना अस्तित्व दांव पर नहीं लगाना चाहिए।
कांग्रेस का साथ दे समाजवादी पार्टी: अजय राय
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने अमर उजाला से कहा कि उनकी पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता यूपी में पार्टी को मजबूत करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि पार्टी यूपी की सभी सीटों पर अपनी तैयारी कर रही है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को यह तय करना है कि उसे समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में जाना है, या नहीं। लेकिन समझौता होने पर भी समाजवादी पार्टी को कांग्रेस के राजनैतिक कद को ध्यान में रखना होगा उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव होने पर केवल राहुल गांधी ही मोदी के विरुद्ध एक विकल्प हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि अखिलेश यादव भाजपा को हराने के लिए संकल्पबद्ध हैं तो उन्हें हर उस स्थान पर कांग्रेस को मजबूत करना चाहिए जहां पार्टी मजबूत है।
अवसरवादी गठबंधन नहीं चलेगा: भाजपा
उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने अमर उजाला से कहा कि बार-बार यह सामने आ रहा है कि इंडिया गठबंधन केवल लालची और अवसरवादी नेताओं का जमावड़ा है। उन्हें राष्ट्रहित से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि वे केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के एकमात्र एजेंडे से एकजुट हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का दिल्ली-पंजाब-मध्य प्रदेश में कहीं भी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं हो पा रहा है। समाजवादी पार्टी के साथ उनका गठबंधन टूट चुका है और तृणमूल कांग्रेस राहुल गांधी को जगह देने के लिए तैायर नहीं है। इससे साबित हो जाता है कि यह अवसरवादी गठबंधन टूटना तय है।