25 अक्तूबर को पापांकुशा एकादशी व्रत है। हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। वैसे तो हर माह में दो एकादशी तिथि आती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में, लेकिन पापांकुशा एकादशी का अलग ही महत्व होता है। इस व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने से श्रीहरि विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों को कभी धन-दौलत, सुख, सौभाग्य की कमी नहीं होने देते। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति इस लोक के सुखों को भोगते हुए मोक्ष को प्राप्त करता है। ऐसे में चलिए जानते हैं पापांकुशा एकादशी व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि…
पापांकुशा एकादशी तारीख और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार पापांकुशा एकादशी 25 अक्तूबर, दिन बुधवार को है। इस तिथि की शुरुआत 24 अक्तूबर को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट से हो रही है। अगले दिन 25 अक्तूबर को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि 25 अक्तूबर को है, इसलिए पापांकुशा एकादशी का व्रत 25 अक्तूबर को ही रखा जाएगा।
पापांकुशा एकादशी पूजा विधि
एकादशी तिथि को प्रातः उठकर स्नानादि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें।
फिर कलश स्थापना करके उसके पास में आसन पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें।
इसके बाद धूप-दीप और फल, फूल आदि से भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजा करें।
एकादशी व्रत का पारण हमेशा अगले दिन द्वादशी तिथि को किया जाता है।
द्वादशी तिथि को प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजन करें।
फिर सात्विक भोजन बनाकर किसी ब्राह्मण को करवाएं और दान दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें।
इसके बाद शुभ मुहूर्त में आप भी व्रत का पारण करें।
एकादशी व्रत के मंत्र
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। - ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि ।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। - ॐ विष्णवे नम:
पापांकुशा एकादशी महत्व
पूरी श्रद्धा के साथ पापाकुंशा एकादशी के दिन व्रत रखकर पूजा करने से मन पवित्र होता है। साथ ही मनुष्य में सद्गुणों का समावेश होता है। इस एकादशी के व्रत से पापों का प्रायश्चित होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से सभी सुखों की प्राप्ति होती है।