रूस की सरकारी हथियार निर्यात एजेंसी रोसोबोर्नएक्सपोर्ट के सीईओ एलेक्जेंडर मिखीव ने बताया कि दुबई में इगला एस एयर डिफेंस प्रणाली के लाइसेंस उत्पादन के लिए भारत ने दस्तखत कर दिए हैं। इसके बाद हम एक भारतीय निजी कंपनी के सहयोग से भारत में इसका उत्पादन शुरू कर देंगे। इगला एक मैन पोर्टेबल यानी मानव संचालित एयर डिफेंस रक्षा प्रणाली (एमएएनपीएडीएस) है।
भारतीय सेना को संवेदनशील अग्रिम मोर्चों पर और सशक्त बनाने के लिए भारत रूस से उसकी विमान रोधी इगला एस श्रेणी की मिसाइलें हासिल करेगा। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत मेक-इन-इंडिया अभियान के तहत इन मिसाइलों का उत्पादन देश में ही करना चाहता है और इसके लिए प्रयासरत है। इगला एक मैन पोर्टेबल यानी मानव संचालित एयर डिफेंस रक्षा प्रणाली (एमएएनपीएडीएस) है।
मिसाइलों के एक बैच का सौदा पक्का
इसकी मदद से दुश्मन के विमानों और हेलीकाप्टरों को मार गिराया जा सकता है। कम दूरी की इस मिसाइल की मारक क्षमता पांच से छह किलोमीटर तक है। कितनी मिसाइलों की खरीद की जा रही, यह अभी स्पष्ट नहीं: सूत्रों का कहना है कि भारत ने पांच महीने पहले ही भारतीय सेना के लिए इगला एस श्रेणी की हाथ से संचालित मिसाइलों के एक बैच का सौदा पक्का कर लिया है। नए हथियार 1990 में सेना में शामिल हुई इगला मिसाइलों का स्थान लेंगी। फिलहाल यह नहीं पता है कि अभी कितनी मिसाइलों की खरीद की जा रही है।
सीमा की चाक-चौबंद सुरक्षा पर जोर
रूस की सरकारी हथियार निर्यात एजेंसी रोसोबोर्नएक्सपोर्ट के सीईओ एलेक्जेंडर मिखीव ने बताया कि दुबई में इगला एस एयर डिफेंस प्रणाली के लाइसेंस उत्पादन के लिए भारत ने दस्तखत कर दिए हैं। इसके बाद हम एक भारतीय निजी कंपनी के सहयोग से भारत में इसका उत्पादन शुरू कर देंगे। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए भारत का जोर सीमा की चाक-चौबंद सुरक्षा पर है।