चंडीगढ़: पंजाब के वरिष्ठ कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर 2019 के लोकसभा चुनाव में धर्म के आधार पर वोट की अपील करने के मामले में दर्ज एफ. आई. आर. को पटना हाईकोर्ट ने रद्द करने के आदेश दिए हैं।
मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप कुमार ने स्पष्ट किया कि सिद्धू ने तब अपने भाषण के दौरान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (ए. आई.एम.आई.एम.) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा मुस्लिम वोटों के बंटवारे के खिलाफ आगाह किया था, सिद्धू की मंशा सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की नहीं बल्कि मुस्लिम वोट के बंटवारे को रोकने की थी। सिद्ध के खिलाफ 16 अप्रैल, 2019 में आई.पी. सी. और रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ था। निचली अदालत के फैसले को सिद्धू ने पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि सिद्ध के भाषण से ऐसा नहीं लगता है कि याचिकाकर्त्ता ने दो वर्गों के लोगों या दो धर्मों के बीच दुश्मनी या नफरत की भावनाओं को बढ़ावा देने का प्रयास किया।
सिद्धू ने तब केवल इतना कहा कि ओवैसी मुस्लिम वोटों को विभाजित करने की कोशिश कर रहे थे। सिद्ध के बयान में किसी भी सांप्रदायिक तनाव या हिंसा का जिक्र नहीं है बल्कि केवल मुस्लिम समुदाय को ओवैसी के इशारे पर अपने वोट विभाजित करने के बारे में आगाह किया गया है। हाईकोर्ट ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि सिद्धू ने धर्म के नाम पर वोट मांगे थे। तब कहा गया था कि सिद्धू ने 2019 के आम चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए मुस्लिम मतदाताओं से एकजुट होकर कांग्रेस को वोट देने की अपील की थी और ओवैसी को वोट देकर अपने वोट नहीं बांटने की अपील की थी।